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दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ ‘ग्रीन पटाखों’ की सशर्त मंजूरी, उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का आदेश l

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दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ ‘ग्रीन पटाखों’ की सशर्त मंजूरी, उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई का आदेश

नई दिल्ली। दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर बड़ी राहत दी है, लेकिन कड़े प्रतिबंधों के साथ। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली और नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) के सभी क्षेत्रों में केवल ग्रीन पटाखों (पर्यावरण-अनुकूल आतिशबाजी) की अनुमति होगी, वह भी निश्चित समय, स्थान और निगरानी में। इसके अलावा, इन ग्रीन पटाखों को सिर्फ लाइसेंस प्राप्त विक्रेता ही बेच सकेंगे और ऑनलाइन बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।

मुख्य न्यायाधीश की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हरियाणा के 14 जिले एनसीआर का हिस्सा हैं, जिसका मतलब है कि राज्य का लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र इस आदेश से सीधे प्रभावित होगा। कोर्ट ने माना कि बैन से व्यापारियों, निर्माताओं और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह आवश्यक कदम है। अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति या दुकान गैर-ग्रीन पटाखों की बिक्री करता पाया गया, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी और लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि ग्रीन पटाखों की तकनीकी मानक तय हों और प्रमाणित उत्पाद ही बाजार में पहुंचें। पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी खास निगरानी अभियान चलाने का आदेश दिया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अवैध आतिशबाजी रोकी जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि त्यौहारों की भावना अपनी जगह है, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को किसी भी मूल्य पर खतरे में नहीं डाला जा सकता। अदालत ने कहा कि “त्योहार खुशी का प्रतीक हैं, लेकिन हवा और बच्चों के जीवन से खेलने का माध्यम नहीं बन सकते।” अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि दीपावली मनाने के अन्य पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों जैसे दीयों और लेज़र लाइट शो को बढ़ावा दिया जाए।

इस आदेश के बाद दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद समेत पूरे एनसीआर में प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है। पर्यावरण विभाग और पुलिस ने संयुक्त नियंत्रण कक्ष बनाए हैं जो त्योहार के दिनों में रातभर प्रदूषण स्तर और अफवाहों पर नजर रखेंगे।

पर्यावरण विशेषज्ञों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह आदेश न केवल प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक अहम कदम है बल्कि नीति-निर्माताओं को संतुलन बनाने का अवसर देता है — ताकि परंपरा, व्यापार और स्वास्थ्य तीनों का समुचित संरक्षण हो सके।

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