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यूपी में विधि विरुद्ध धर्मांतरण कानून का प्रस्ताव कैबिनेट ने किया पास,कड़ी सजा का प्रावधान

लखनऊ – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में अवैध धर्मांतरण कानून ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। इस अध्यादेश के धर्म परिवर्तन करके शादी करने पर कोई रोक नहीं है। इस अध्यादेश के अनुसार, ऐसे विवाह के लिए जिसमें धर्म परिवर्तन होना हो, विहित प्राधिकारी यानी डीएम से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व में सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से लेकर तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही जुर्माना 10 हजार रुपये से कम नहीं होगा।

इस कानून में केवल धर्म परिवर्तन के लिए की गई शादी शून्य मानी जाएगी। प्रावधान के मुताबिक, किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में लड़की के धर्म में परिवर्तन के एक मात्र प्रयोजन के लिए किया गया विवाह शून्य की श्रेणी में लाया जाएगा।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में कम से कम तीन साल की सजा होगी, यह सजा अधिकतम 10 वर्ष तक की हो सकती है। वहीं जुर्माने की राशि भी ऐसे मामलों में बढ़ाकर 50 हजार रुपये होगी।

क्या कहता है अध्यादेश
1- इसके तहत बहला-फुसला कर, जबरन, छल-कपट कर, प्रलोभन देकर या किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में किया गया परिवर्तन गैरकानूनी होगा।
2- ऐसा करने पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा दी जाएगी। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भी होगा।
3- कैबिनेट ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अध्यादेश के नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा और 15 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है।
4- इसके अलावा किसी अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला के संबंध में नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम 3 साल की सजा और अधिकतम दस साल की सजा होगी। साथ ही जुर्माने की राशि 25 हजार रुपये होगी।

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