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दिल्ली हाई कोर्ट फैसला- पत्नी और बच्चों का खर्च उठाना पति का कर्तव्य

नयी दिल्ली- दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि पति का यह कर्तव्य और दायित्व है कि वह अपनी पत्नी का खर्च उठाये और उसे एवं अपने बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करे.न्यायलय ने कहा कि पति अपनी पत्नी और बच्चों की देखभल की जिम्मेदारी से बच नहीं सकता जिसकी जो कानूनों में निहित कानूनी आधार की अनुमति देते हों.

अदालत ने कहा कि निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाला व्यक्ति, एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) है और अपनी पत्नी को 17,000 रुपये मासिक का भुगतान करने के लिए अच्छी कमाई कर रहा है, जिसके पास आय का कोई स्थाई स्रोत नहीं है. अदालत ने कहा, ‘‘यह दिखाने के लिए कोई भी सामग्री रिकॉर्ड पर नहीं रखी गई है कि प्रतिवादी (पत्नी) खुद अपना खर्च उठाने में सक्षम है. पत्रिका कवर यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि प्रतिवादी खुद का खर्च उठा सकती है.’’ पुरुष और महिला की शादी जून 1985 में हुई थी और विवाह के बाद उनके दो बेटे और एक बेटी का जन्म हुआ. 2010 में बेटी का निधन हो गया और दोनों बेटे अब बालिग हैं और अब अच्छी तरह से कार्यरत हैं.

दंपति 2012 से अलग रह रहे हैं और महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसके साथ बुरा व्यवहार किया और उसे घर से बाहर निकाल दिया. महिला का कहना था कि वह खुद का खर्च उठाने में असमर्थ है और उसे पुरुष से गुजारा भत्ता की आवश्यकता है. महिला ने दावा किया कि उसका पति प्रति माह 50,000 रुपये का वेतन प्राप्त कर रहा है और उसके पास कृषि योग्य भूमि भी है, जिससे भी उसकी आमदनी होती है.

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