
आजकल लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं, और खासतौर पर गट हेल्थ को लेकर। गट यानी हमारी बड़ी आंत में लाखों-करोड़ों बैक्टीरिया रहते हैं, जिनका कुल वजन करीब 1 किलो तक हो सकता है। ये छोटे-छोटे बैक्टीरिया हमारे पाचन तंत्र को सही रखने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि गट में सिर्फ अच्छे बैक्टीरिया (गुड बैक्टीरिया) ही नहीं होते, बल्कि कुछ बुरे बैक्टीरिया (बैड बैक्टीरिया) भी होते हैं, जो शरीर में गड़बड़ियां पैदा कर सकते हैं।
गट हेल्थ को क्या करता है खराब?
इंडिया टीवी के ‘वेलनेस वीकेंड’ कार्यक्रम में डॉ. अमरेंद्र सिंह पुरी (वाइस चेयरमैन, IDSH, मेदांता) ने गट हेल्थ से जुड़ी जरूरी बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि जब भी हमें किसी तरह का इंफेक्शन होता है, तो हम बिना सोचे-समझे एंटीबायोटिक दवाएं लेने लगते हैं। ये दवाएं बेशक इंफेक्शन के बैक्टीरिया को मारने का काम करती हैं, लेकिन साथ ही ये हमारे गट के गुड बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचाती हैं।
एंटीबायोटिक से गुड बैक्टीरिया को खतरा
डॉ. पुरी के अनुसार, लंबे समय तक और बार-बार एंटीबायोटिक लेने से गट की बायोडायवर्सिटी कम हो जाती है, खासकर 50-60 साल की उम्र के बाद। इससे डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- हल्का डायरिया जिसे एंटीबायोटिक-एसोसिएटेड डायरिया कहा जाता है।
- गंभीर डायरिया, जो जानलेवा भी हो सकता है अगर गट के सारे अच्छे बैक्टीरिया खत्म हो जाएं और सिर्फ खराब बैक्टीरिया बचें।
ऐसी स्थिति में आंतें और किडनी तक डैमेज हो सकती हैं, और जान का खतरा भी हो सकता है।
एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल सोच-समझकर करें
डॉ. पुरी का साफ कहना है कि एंटीबायोटिक दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। अक्सर लोग हल्की पेट की गड़बड़ी में भी खुद से एंटीबायोटिक शुरू कर देते हैं, जो गलत है।
अधिकतर वायरल डायरिया खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं और उनमें एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत नहीं होती।
खासकर बुजुर्गों और लंबे समय तक दवाएं लेने वालों को इसका बहुत ध्यान रखना चाहिए। एक महीने तक लगातार एंटीबायोटिक लेने से शरीर को गंभीर नुकसान हो सकता है।
गट हेल्थ बिगड़ी तो ये बीमारियां हो सकती हैं
अगर गट हेल्थ लंबे समय तक खराब बनी रहे, तो इससे ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऑटोइम्यून डिजीज में शरीर की अपनी इम्यून सिस्टम ही अपने सेल्स पर हमला करने लगती है।
इसके कारण हो सकते हैं:
- ऑटोइम्यून पैनक्रियाज
- ऑटोइम्यून थायराइड
- ऑटोइम्यून नर्व सिस्टम की गड़बड़ी
डॉ. पुरी ने बताया कि अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन डिजीज जैसी बीमारियां भी इसी कैटेगरी में आती हैं, जिनका सीधा संबंध गट बैक्टीरिया से होता है।
गट हेल्थ का सीधा असर हमारी इम्यूनिटी, पाचन और संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल हमेशा सोच-समझकर करें और डॉक्टर की सलाह के बिना कभी न लें। अच्छा खाना, संतुलित जीवनशैली और गट-फ्रेंडली डाइट अपनाकर आप अपने गट को हेल्दी रख सकते हैं।