सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को भंग करने की एनसीपीसीआर की सिफारिश और उत्तर प्रदेश की सरकारी कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्तों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। एनसीपीसीआर ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन न करने के कारण इन मदरसों को बंद करने की सिफारिश की थी, जिस पर केंद्र और राज्यों ने कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन अब कोर्ट ने इसे रोक दिया है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि यह कार्रवाई अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रबंधन के अधिकारों का हनन करती है। एनसीपीसीआर ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार को पत्र भेजकर इन मदरसों को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग की थी, लेकिन जमीयत का कहना है कि इस सिफारिश का प्रभाव केवल इन दो राज्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य राज्यों में भी इसका असर हो रहा है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच, जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे, ने इस मामले में केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।