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इंडिया गठबंधन के जरिये अपने को मजबूत करना चाहती है कांग्रेस

दिल्ली – लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले इंडिया गठबंधन के दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन प् रही है. गठबंधन में सीट बंटवारे के केंद्र में कांग्रेस है और पार्टी ने इस मसले को सुलझाने के लिए अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक समेत 5 बड़े नेताओं को नियुक्त किया है.

सूत्रों के अनुसार देश के बड़े सूबे उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र में पार्टी अपने मुख्या चेहरों को आगे कर सहयोगी दलों से सीट मांग रही है. कारन माना जा रहा है कांग्रेस का इन राज्यों कमजोर संगठन,बिहार में तो कई जिलों में पार्टी के पास संगठन ही नहीं है. बंगाल में 2 साल से पार्टी नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर पाई है.

बड़े चेहरे को आगे कर कांग्रेस इंडिया गठबंधन में ज्यादा से ज्यादा सीटें हथियाना चाह रही है, जिससे उसका 300 सीटों पर लड़ने की रणनीति आसानी से सफल हो सके.जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को फेस फॉर्मूले से सीट समझौते के दौरान 5 राज्यों में कम से कम 20 सीटों का फायदा हो सकता है. कैसे, आइए विस्तार से जानते हैं

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी किशनगंज से मोहम्मद जावेद, कटिहार से तारीक अनवर, पूर्णिया/सुपौल से रंजीत रंजन या पप्पू यादव, बेगूसराय से कन्हैया कुमार, सासाराम से मीरा कुमार/अजित कुमार, औरंगाबाद से निखिल सिंह और बेतिया से अखिलेश सिंह को लड़ाना चाहती है.

पार्टी यही प्रस्ताव गठबंधन के घटक दल के सामने भी रखेगी. पिछले चुनाव में पार्टी ने किशनगंज सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि कटिहार, सुपौल और सासाराम में उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे.

बिहार में इंडिया गठबंधन के नेताओ का कहना है की कांग्रेस जिसे कथित बिग फेस कह रही है, वो खुद चुनाव नहीं जीत पाते हैं. बिहार में सिर्फ लालू यादव और नीतीश कुमार बड़ा चेहरा है. वही देश सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं और कांग्रेस यहां सपा और रालोद के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. तय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो यहां कांग्रेस को 7 सीटें मिलनी मुश्किल है.

2019 के चुनाव में कांग्रेस ने रायबरेली सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि अमेठी, कानपुर और फतेहपुर सीकरी में दूसरे नंबर पर रही थी. यानी कुल 4 सीटों पर कांग्रेस का बीजेपी से सीधा मुकाबला हुआ था.

वहीं 2014 में कांग्रेस को अमेठी और रायबरेली में जीत मिली थी, जबकि पार्टी 6 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी. इनमें गाजियाबाद, कुशीनगर, बाराबंकी, कानपुर, लखनऊ और सहारनपुर जैसी सीटें थी.पार्टी इन्हीं नामों को आगे कर सहयोगियों से सीट मांगने की रणनीति अपना रही है.

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