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UP Politics : लखनऊ पूर्वी उपचुनाव,परिवारवाद का विरोध क्यों

लखनऊ : पूर्वी विधानसभा सीट पर भाजपा को प्रत्याशी तय करना आसान नहीं दिख रहा है। यह सीट पूर्व मंत्री आशुतोष टंडन के देहांत के बाद से खाली है। यहां पर 20 मई को मतदान होगा। इसी वजह से भाजपा को प्रत्याशी तय करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।

लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा उपचुनाव पर 20 मई को मतदान होना है। भाजपा की ओर से टिकट पाने के लिए कई दिग्गज ताल ठोंक रहे हैं। दावेदारों में पूर्व मंत्री कलराज मिश्र के बेटे अमित मिश्र, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ,हीरो बाजपेयी और नीरज सिंह समेत कई नाम चर्चा में हैं। हालांकि संगठन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह की अंतिम मुहर के बाद ही पार्टी आगे का फैसला करेगी। तो दावेदारों में महिला पदाधिकारी भी हैं। संगठन अपने स्तर से नए चेहरों की तलाश भी कर रहा है। इस विधानसभा का कार्यकाल तीन साल बाकी है। ऐसे में इसे आम चुनाव जितना ही अहम माना जा रहा। यही कारण है कि दावेदार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं।

माना जाता है कि जब किसी सिटिंग विधायक की मृत्यु होती है तो अमूमन पार्टी उसके ही परिवार के किसी करीबी को ही टिकट देती है। इस लिहाज से देखा जाए तो दिवंगत विधायक आशुतोष टंडन के भाई अमित टंडन की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा सकती है। लेकिन पार्टी का एक बड़ा धड़ा लखनऊ पश्चिम से विधायक रहे सुरेश श्रीवास्तव का जिक्र करते हुए सहानुभूति लहर के लिए टिकट दिए जाने के विरोध में भी हैं। गौर तलब है कि बीजेपी ने पश्चिम सीट से दिवंगत विधायक सुरेश श्रीवास्तव के बेटे या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट नहीं दिया था। हालांकि लखनऊ पूर्व विधानसभा में दिवंगत विधायक आशुतोष टंडन के भाई अमित टंडन ही उनके कार्यालय का काम काज देखने के साथ कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें भी कर रहे हैं। इसके साथ ही लखनऊ पूर्व से विधायक रहे कलराज मिश्र के बेटे अमित मिश्र को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। तो वही इस सीट पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला और हीरो बाजपाई भी अपनी किसमत आजमाना चाह रहै है

लखनऊ पूर्वी की जातीय समीकरण की बात करें तो 451408 वोटरों वाली इस सीट पर 65000 ब्राह्मण, 70 हजार क्षत्रिय, 75 हजार दलित, 42000 मुस्लिम, 25000 यादव और 35000 श्रीवास्तव वोटर हैं. तो लोक सभा के साथ होने जा रहे इस उपचुनाव में भाजपा संगठन में विरोध नहीं देखना चाहती।

अगर भाजपा की सूत्रों की बात करें तो इस लखनऊ पूर्वी को खत्री समाज से प्रत्याशी मिल सकता है। वजह लोक सभा चुनाव के साथ उपचुनाव होना। लोकसभा चुनाव में लखनऊ से बीजेपी प्रत्याशी राजनाथ सिंह के खिलाफ सपा ने खत्री प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा को मैदान में उतारा है। इसे भी लखनऊ पूर्व विधानसभा के टिकट का अहम फैक्टर माना जा रहा है। बीजेपी का एक धड़ा इस सीट से खत्री समाज के किसी व्यक्ति को टिकट की मांग कर रहा है ताकि सपा प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में खत्री मतदाताओं को यह कहकर अपने पाले में न जोड़ सकें कि लखनऊ में खत्री समाज का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

ज़ाहिर है भाजपा को की तलाश आसान नहीं दिख रही। जातीय समिकरण साधना और संगठन को एकजुट रखना, आसान नहीं होता। लखनऊ पूर्वी सीट पर एक ही परिवार के वर्चस्व को नकारते दिख रहे है । तो वहीं इस विधानसभा सीट का लगभग तीन साल बाकी होना इस उपचुनाव को आम चुनाव के जैसा ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यही वजह है कि लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दावेदार दौड़ लगा रहे हैं। अब किसका सितारा चमकेगा, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा

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