चंद्रमा सदियों से पृथ्वी के ऊपर आकाश में मौजूद है। यह कलाकारों, कवियों और मनीषियों को प्रेरित करता है और बच्चों को मंत्रमुग्ध करता है। दरअसल, एक शोध में कहा गया है कि हमारा प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जा रहा है। यह खोज सीधे-सीधे विज्ञान कथा से निकली हुई लगती है। यह सावधानीपूर्वक वैज्ञानिक अवलोकन और विश्लेषण पर आधारित है। विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय की एक टीम ने पाया कि चंद्रमा के धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जाने के बड़े प्रभाव हो सकते हैं। अध्ययन में बताया गया कि चंद्रमा प्रति वर्ष लगभग 3.8 सेंटीमीटर की दर से पृथ्वी से दूर जा रहा है।
नए शोध के अनुसार, इसका हमारे ग्रह पर दिनों की लंबाई पर भारी प्रभाव पड़ेगा। अंततः परिणाम यह होगा कि अगले 20 करोड़ वर्षों में पृथ्वी पर प्रतिदिन 25 घंटे होंगे। निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि 1.4 अरब साल पहले, पृथ्वी पर एक दिन 18 घंटे से थोड़ा अधिक समय तक चलता था। यह घटना मुख्य रूप से पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण संबंध के कारण है। यह मुख्य रूप से पृथ्वी और चंद्रमा द्वारा एक दूसरे पर लगाए गए ज्वारीय बलों के कारण है।
विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के प्रोफेसर स्टीफन मेयर्स ने कहा कि पृथ्वी एक घूमते हुए फिगर स्केटर की तरह है। जैसे-जैसे चंद्रमा दूर जाता है, वह अपनी बाहें फैलाना धीमा कर देता है। चंद्रमा पृथ्वी से दूर क्यों जा रहा है? यह दशकों से ज्ञात है। हालाँकि, विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय का एक अध्ययन घटना के ऐतिहासिक और भूवैज्ञानिक संदर्भ में गहराई से उतरता है।