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पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक जेल क्यों जा रही हैं ? भारत से चीन और अमेरिका तक की पूरी रिपोर्ट

दुनियाभर में महिलाओं की जेलों में संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी, शोषण और भेदभावपूर्ण कानूनों के कारण लाखों महिलाएं जेल में बंद होने को मजबूर हो रही हैं।

महिलाओं के लिए कठोर कानून और सामाजिक असमानता

रिपोर्ट बताती है कि कई सख्त कानून महिलाओं को अपराधी बना रहे हैं, जबकि वे असल में सामाजिक असमानता और नीतिगत विफलताओं का शिकार होती हैं। कई देशों में महिलाओं को ऐसे अपराधों के लिए जेल भेजा जाता है, जो उनकी परिस्थितियों को देखते हुए तुच्छ माने जाने चाहिए, जैसे बच्चों के लिए खाना चुराना, भीख मांगना या अनौपचारिक काम करना।

कुछ जगहों पर महिलाएं सिर्फ इसलिए जेल में बंद हैं क्योंकि वे अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर सकीं, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का सीधा उल्लंघन है। सिएरा लियोन जैसे देशों में महिलाओं को “धोखाधड़ी” और “झूठे बहाने से धन प्राप्त करने” जैसे मामलों में सजा दी जाती है, जो पुराने औपनिवेशिक कानूनों के कारण संभव हो पाता है।

महिलाओं की कैद दर में चिंताजनक वृद्धि

वर्तमान में दुनिया भर में 7,33,000 से अधिक महिलाएं जेलों में बंद हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कैद दर बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। वर्ष 2000 के बाद से महिला कैदियों की संख्या में 57% वृद्धि हुई है, जबकि पुरुष कैदियों की संख्या में केवल 22% की बढ़ोतरी हुई है।

घरेलू हिंसा और मजबूरी में अपराध

कई महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होने के बाद या अपने परिवार की देखभाल करने के लिए सेक्स वर्क या ड्रग्स बेचने जैसी गतिविधियों में शामिल होने को मजबूर होती हैं। हालांकि, उनकी परिस्थितियों को समझने और सुधारने के बजाय, उन्हें कठोर कानूनों के तहत अपराधी बना दिया जाता है।

महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण कानून

आज भी कई देशों में औपनिवेशिक काल के पुराने कानून महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं। गर्भपात, आत्महत्या का प्रयास और समलैंगिक संबंध जैसी चीजों को अपराध मानकर महिलाओं को सजा दी जाती है। कई मामलों में तो जादू-टोना जैसे अंधविश्वासी आरोपों के आधार पर भी महिलाओं को जेल में डाल दिया जाता है, खासतौर पर वे महिलाएं जो समाज के पारंपरिक नियमों से अलग होती हैं, जैसे विधवा, तलाकशुदा या संतानहीन महिलाएं।

पहनावे पर भी सख्त प्रतिबंध

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई देशों में महिलाओं के पहनावे को लेकर कड़े कानून लागू हैं। मई 2022 में जांबिया में एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर आइरिस काइंगु को केवल इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने एक फैशन इवेंट में पारदर्शी कपड़े पहने थे।

ईरान में बिना हिजाब के बाहर निकलना पहले से ही अपराध माना जाता था, लेकिन अब नए कानूनों के तहत “अनुचित पोशाक” पहनने पर 15 साल तक की जेल या मौत की सजा तक दी जा सकती है।

समाधान के संभावित कदम

यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो जल्द ही महिला कैदियों की संख्या 10 लाख के पार जा सकती है। इसे रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए:

  • महिला अपराधियों से जुड़े आंकड़ों का विस्तृत रूप से संकलन और विश्लेषण किया जाए।
  • छोटे-मोटे अपराधों के लिए जेल की सजा के बजाय वैकल्पिक उपाय अपनाए जाएं।
  • ऐसे कानूनों को समाप्त किया जाए जो मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन करते हैं।

सख्त और भेदभावपूर्ण कानूनों में बदलाव लाकर तथा सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करके ही महिलाओं की बढ़ती कैद दर को नियंत्रित किया जा सकता है।

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