भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से राजनयिक रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि, दोनों देशों ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक-दूसरे को अपने परमाणु ठिकानों की जानकारी प्रदान की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी। मंत्रालय के अनुसार, भारत और पाकिस्तान ने एक द्विपक्षीय समझौते के तहत अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया है। अब हम जानते हैं कि यह समझौता क्या है।
परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए समझौता
भारत और पाकिस्तान ने तीन दशकों से अधिक समय से जारी इस प्रक्रिया को बनाए रखा है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह समझौता इसलिए किया गया है ताकि दोनों देशों के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले को रोका जा सके। इस सूची को दोनों देशों ने अपने-अपने राजनयिक माध्यमों से एक-दूसरे को सौंपा है।
1992 में हुआ था पहला आदान-प्रदान
भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी का आदान-प्रदान उस समय हुआ है, जब दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद को लेकर तनाव जारी है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “यह दोनों देशों के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचनाओं का लगातार 34वां आदान-प्रदान है। पहला आदान-प्रदान 1 जनवरी 1992 को हुआ था।”
समझौते का इतिहास और उद्देश्य
भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी का आदान-प्रदान 1988 में 31 दिसंबर को हुए एक समझौते के तहत शुरू हुआ था। यह समझौता 27 जनवरी 1991 को लागू हुआ। इसके तहत दोनों देशों को हर साल 1 जनवरी को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के बारे में एक-दूसरे को जानकारी देने का प्रावधान था। इस प्रक्रिया के तहत अब तक 33 बार यह सूचनाएं आदान-प्रदान की जा चुकी हैं।