
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में बनी मस्जिद को पूरी तरह अवैध करार दिया गया है। शिमला नगर निगम की कमिश्नर कोर्ट ने अंतिम निर्णय सुनाते हुए मस्जिद की सभी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है। कोर्ट के मुताबिक, यह मस्जिद बिना किसी कानूनी स्वीकृति, एनओसी और मान्यता प्राप्त नक्शे के बनाई गई थी, जिसे ‘अवैध निर्माण’ घोषित किया गया है।
एमसी कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि मस्जिद का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया है, और अब इसे पूरी तरह से ध्वस्त किया जाएगा। पहले 5 अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने मस्जिद की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को गिराने का आदेश दिया था, जबकि अब ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल को भी अवैध मानते हुए गिराने का निर्देश दिया गया है।
स्थानीय निवासियों की ओर से केस की पैरवी कर रहे वकील जगत पाल ने बताया कि यह फैसला हाई कोर्ट के निर्देश पर लिया गया है, जिसके तहत नगर निगम आयुक्त को छह सप्ताह के भीतर मामला सुलझाना था। आज का निर्णय उसी प्रक्रिया का हिस्सा है।
हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड कोर्ट में जमीन पर अपने स्वामित्व को लेकर कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। बीते 15 वर्षों में बोर्ड यह साबित करने में असफल रहा कि विवादित जमीन पर उसका कोई अधिकार है। साथ ही, टैक्स एनओसी और अन्य आवश्यक कागजात भी निगम को नहीं दिए गए। कोर्ट ने यह भी पाया कि पुराने ढांचे को बिना इजाज़त गिराकर नया निर्माण किया गया था, जो नगर निगम के नियमों का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि इस मामले को लेकर शिमला के ढली क्षेत्र में कई हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया था और मस्जिद के अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज़ उठाई थी।