सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए रणनीतिक रक्षा समझौते ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है। अमेरिकी जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट इयान ब्रेमर ने दावा किया है कि इस डील का सीधा असर दक्षिण एशिया की सुरक्षा परिस्थितियों पर पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति बनती है, तो सऊदी अरब पाकिस्तान को सहयोग देगा।
ब्रेमर के अनुसार, यह रक्षा समझौता केवल प्रतीकात्मक ही नहीं है, बल्कि इसमें सैन्य प्रशिक्षण, खुफिया साझेदारी, हथियारों की आपूर्ति और सुरक्षा सहायता जैसी अहम बातें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी अरब पर आर्थिक और धार्मिक स्तर पर निर्भर रहा है, लेकिन अब इस साझेदारी ने रक्षा के क्षेत्र में भी एक नई दिशा पकड़ ली है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति और मजबूत होगी और उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अतिरिक्त आत्मविश्वास मिलेगा। वहीं, भारत के लिए यह एक नई चुनौती साबित हो सकती है क्योंकि सऊदी अरब भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक सहयोगी और ऊर्जा आपूर्ति करने वाला देश भी है। अगर रियाद किसी एक पक्ष को खुले तौर पर समर्थन देता है तो इससे भारत-सऊदी संबंध भी प्रभावित हो सकते हैं।
इयान ब्रेमर ने यह भी कहा कि सऊदी अरब भले ही भारत को एक बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता और निवेश भागीदार मानता रहे, लेकिन इस्लामाबाद के साथ उसके ऐतिहासिक और धार्मिक संबंध उसे युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान की तरफ झुकाव दे सकते हैं। यह परिदृश्य भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक दोनों ही स्तरों पर तनावपूर्ण होगा।
हालांकि, विशेषज्ञों का एक तबका यह तर्क भी दे रहा है कि सऊदी अरब खुले रूप में युद्ध में कूदने से बचेगा, क्योंकि उसका आर्थिक और भू-राजनीतिक भविष्य संतुलन की राजनीति पर निर्भर है। रियाद संभवतः प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप की बजाय कूटनीतिक और रसद सहयोग तक ही सीमित रह सकता है।
भारत में कूटनीतिक हलकों में इस बयान को लेकर चर्चा तेज हो गई है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत सऊदी अरब के साथ लगातार संवाद बनाए हुए है और दोनों देशों के रिश्ते ऊर्जा, निवेश और प्रवासी भारतीयों के मुद्दों पर बेहद मजबूत हैं। किसी भी तरह की डिफेंस डील को भारत के खिलाफ नहीं माना जाना चाहिए।
फिलहाल सऊदी अरब की ओर से आधिकारिक तौर पर इस मसले पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन ब्रेमर के इस बयान ने निश्चित रूप से भारत-पाक-सऊदी त्रिकोणीय संबंधों के भविष्य को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।

