नई दिल्ली – सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद शुरू हुई जांच अब बॉलीवुड में ड्रग्स कनेक्शन से जुड़ गयी है,CBI के साथ ही इस जांच में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी जांच कर रहा है. रिया चक्रवर्ती के बाद दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, रकुल प्रीत कौर जैसे कई नामी गिरामी सेलिब्रिटी से ड्रग्स इस्तेमाल व खरीद फरोख्त को लेकर पूछताछ चल रही है. ड्रग्स का इस्तेमाल करने या रखने के दोषी देश में सख्त कानून बने है और इसमें सजा का भी कड़ा प्रावधान है.
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटैंस एक्ट यानी NDPS एक्ट 1985 और NDPS एक्ट 1988 दो मुख्य कानून हैं, जो भारत में ड्रग्स संबंधी मामलों में लागू होते हैं. इस कानून के मुताबिक नारकोटिक ड्रग्स या फिर किसी भी नियंत्रित केमिकल या साइकोट्रॉपिक पदार्थ का उत्पादन, पजेशन, बिक्री, खरीदी, व्यापार, आयात-निर्यात और इस्तेमाल किया जाना प्रतिबंधित है. सिर्फ मेडिकल या वैज्ञानिक कारणों से विशेष मंज़ूरियों के बाद यह संभव हो सकता है.
भारत के संविधान में आर्टिकल 47 के तहत भी राज्य को ड्रग्स नियंत्रण, रोकथाम के लिए शक्ति मिली है. ड्रग्स के नियंत्रण के लिए तीन श्रेणियों में ड्रग्स की चर्चा वर्तमान कानून में है. एक, एलएसडी, मेथ जैसे साइकोट्रॉपिक पदार्थों की श्रेणी है, दूसरी चरस, गांजे, अफीम जैसी नारकोटिक ड्रग्स की और तीसरी श्रेणी मिश्रण वाले केमिकल पदार्थों की है, जिसे कंट्रोल्ड सब्सटैंस कहते हैं.
देश में ड्रग्स की 100 से ज़्यादा ऐसे की सूची है, जो NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं. इनके किसी भी तरह के मिश्रण को अगर आप अपने पास रखते हैं, इस्तेमाल करते हैं या किसी तरह भी इसका व्यापार करते हैं, तो आप कानून तोड़ते हैं. और इस कानून को तोड़ने पर आपको सज़ा हो सकती है. सज़ा इस बात पर तय करेगी कि आपने कानून कैसे और कितना तोड़ा है.
साल 2008 में यह व्यवस्था दी गई थी कि NDPS एक्ट के तहत ड्रग्स रखने के मामले में सज़ा यह देखकर तय होगी कि कितनी मात्रा में ड्रग्स आरोपी के पास पाई गई. यानी एक किलो से कम तक ड्रग्स रखने को व्यावसायिक नहीं माना गया था. निजी इस्तेमाल के लिहाज़ से ड्रग्स मिलने पर आरोपी को 10 साल तक की कैद जबकि कमर्शियल मात्रा में ड्रग्स पजेशन पर 20 साल तक की सख्त कैद तक का प्रावधान है.
लेकिन इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था को बदला है और अब ड्रग्स की मात्रा से सज़ा तय नहीं होगी. कम से कम 10 साल से लेकर 20 साल तक की सज़ा हो सकती है. साथ ही, कम से कम 1 लाख रुपये का जुर्माना भी हो सकता है.