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100 वर्षों से कुंभ मेले में आ रहे 128 साल के स्वामी शिवानंद ने अपनी बताई दिनचर्या

महाकुंभ 2025 की शुरुआत बस कुछ ही समय में होने वाली है। कल, 13 फरवरी से प्रयागराज में इस भव्य आयोजन का शुभारंभ होगा। महाकुंभ के प्रारंभ से पहले ही बड़ी संख्या में संत, साधु और श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। इस अवसर पर 128 वर्षीय योग गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती अपनी प्रेरक जीवनगाथा और गहन दर्शन से श्रद्धालुओं को प्रभावित कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद पिछले 100 वर्षों से हर कुंभ मेले में शामिल होते आए हैं और पवित्र स्नान करते रहे हैं।

उनकी शिष्या, शर्मिला सिन्हा ने बताया कि स्वामी शिवानंद का जीवन सादगी और अनुशासन का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “बाबा को मैं बचपन से जानती हूं। उनका जीवन बहुत ही सरल है। वे सभी को प्रणाम करते हैं और किसी भी प्रकार के सांसारिक लाभ की इच्छा नहीं रखते। बाबा न तो दान लेते हैं, न ही 1977 तक उन्होंने पैसे को हाथ लगाया।”

2022 में मिला था पद्म श्री सम्मान

स्वामी शिवानंद को योग और सेवा के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट भूमिका के लिए 21 मार्च 2022 को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वे इस सम्मान को प्राप्त करने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं। उनके अनुयायी मानते हैं कि उनकी प्रेरणादायक उपस्थिति महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए आशीर्वाद के समान है।

दीर्घायु का रहस्य: सादगी और सेवा

स्वामी शिवानंद अपनी दीर्घायु का श्रेय इच्छाओं से मुक्त और दूसरों की सेवा के प्रति समर्पित जीवनशैली को देते हैं। उनका दैनिक जीवन अनुशासन और आध्यात्मिकता का अनुपम उदाहरण है। वे सुबह 3:00 बजे उठते हैं, ध्यान करते हैं, योग का अभ्यास करते हैं और बिना तेल, नमक या चीनी के सादा उबला हुआ भोजन ग्रहण करते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं हर कुंभ मेले में इसलिए आता हूं क्योंकि यहां पवित्र आत्माएं एकत्र होती हैं। मेरी एकमात्र इच्छा गरीबों की सेवा करना है।” स्वामी शिवानंद ने यह भी कहा, “हर व्यक्ति को कम से कम आधे घंटे तक योग अवश्य करना चाहिए। मेरा आहार केवल उबला हुआ खाना है, जिसमें न तेल होता है, न नमक, न चीनी।”

स्वामी शिवानंद का जीवन हम सभी के लिए यह संदेश देता है कि सादगी, सेवा और आत्म-अनुशासन से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।

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