उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एसटीएफ द्वारा बदमाशों से हुई मुठभेड़ में घायल हुए एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। उन्हें पेट में तीन गोलियां लगी थीं, जिनके बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सोमवार और मंगलवार की रात, मुस्तफा कग्गा गैंग के अपराधियों से हुई मुठभेड़ के दौरान सुनील कुमार को गंभीर चोटें आईं। इलाज के दौरान डॉक्टर्स ने बताया कि उनके पेट में तीन गोलियां लगी थीं। इनमें से एक गोली लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी, जिसे छोड़ दिया गया। ऑपरेशन के बाद गाल ब्लेडर को निकालना पड़ा और आंत के कुछ हिस्से को भी काटना पड़ा था।
इस मुठभेड़ में एसटीएफ और बदमाशों के बीच 30 राउंड फायरिंग हुई। इस दौरान एक लाख रुपये का इनामी अपराधी अरशद समेत चार बदमाश मारे गए।
एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने अपने करियर में कई साहसिक अभियानों की सफलता से अपराधियों के मंसूबों को नाकाम किया और समाज में सुरक्षा का माहौल बनाया। उनके द्वारा किए गए कुछ प्रमुख अभियानों में शामिल हैं:
- उमर केवट गिरोह का खात्मा (19 मार्च 2008) – एसटीएफ ने इस गैंग के सरगना उमर केवट और उसके साथी को मुठभेड़ में मार गिराया था।
- अनिल दुजाना का खात्मा (4 मई 2023) – कुख्यात अपराधी अनिल दुजाना को मुठभेड़ में ढेर किया गया।
- अनिल उर्फ मटका का खात्मा (14 दिसंबर 2024) – दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर एक लाख के इनामी अपराधी अनिल मटका को मुठभेड़ में मारा गया।
- अरशद गैंग का सफाया (20 जनवरी 2025) – शामली में हुए इस मुठभेड़ में अरशद और उसके तीन साथी मारे गए।
इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य अपराधियों को गिरफ्तार भी किया, जिनमें कुख्यात अपराधी राहुल उर्फ रामबाबू और आईएसआई एजेंट तहसीम जैसे अपराधी शामिल हैं।
उनकी सेवा यात्रा में कई सम्मान और पदक भी प्राप्त हुए, जिनमें शौर्य पदक (2015), सेवा अभिलेख पदक (2022), अति उत्कृष्ट सेवा पदक (2024) और प्रशंसा चिन्ह-रजत (2024) शामिल हैं।
निरीक्षक सुनील कुमार ने अपने कर्तव्यों को निभाते हुए अपनी जान की आहुति दी। उनका बलिदान हमेशा याद किया जाएगा और उनकी बहादुरी को सलाम किया जाएगा।

