छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 ठिकानों पर छापेमारी की। इस जांच की आंच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल तक पहुंच गई है। ईडी की इस कार्रवाई के बाद घोटाले में उनकी संभावित भूमिका को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच के दौरान चैतन्य बघेल का नाम सामने आया था, जिसके चलते ईडी ने उनकी संपत्तियों और अन्य ठिकानों पर छापे मारे हैं। इससे पहले भी ईडी इस घोटाले में कई प्रभावशाली नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों पर शिकंजा कस चुकी है। उल्लेखनीय है कि मई 2024 में ईडी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर समेत कई अन्य आरोपियों की 205.49 करोड़ रुपये की संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की थीं।
जब्त की गई संपत्तियों का विवरण:
- पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा – 14 संपत्तियां (कुल मूल्य ₹15.82 करोड़)
- अनवर ढेबर – 115 संपत्तियां (कुल मूल्य ₹116.16 करोड़)
- विकास अग्रवाल, अरविंद सिंह और अरुण पति त्रिपाठी की संपत्तियों पर भी कार्रवाई
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?
ईडी की जांच के अनुसार, वर्ष 2017 में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) का गठन शराब की खरीद और बिक्री को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। लेकिन सरकार बदलने के बाद यह एक संगठित सिंडिकेट के हाथों में चला गया।
आरोप है कि इस सिंडिकेट से जुड़े लोगों को ही शराब व्यवसाय के सभी ठेके दिए गए, जिससे अवैध शराब की बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई और करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई। ईडी का दावा है कि यह धनराशि अनवर ढेबर को दी गई, जिन्होंने इसे आगे राजनीतिक दलों तक पहुंचाया।
ईडी की ताजा छापेमारी को घोटाले में बड़े नेताओं और उनके परिजनों की भूमिका की गहन जांच के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े नामों पर कार्रवाई हो सकती है।

