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आख़िरकार भारत की गिरफ्त में आया तहव्वुर राणा, 26/11 हमले का होगा हिसाब-किताब

मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमलों के एक अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाया गया है। गुरुवार, 10 अप्रैल को दोपहर करीब 2:30 बजे वह विशेष विमान के जरिए नई दिल्ली पहुंचा। जानकारी के अनुसार, अमेरिका से उसे लाने के लिए एक संयुक्त भारतीय टीम भेजी गई थी, जिसमें NIA और RAW के अधिकारी शामिल थे। भारत लाए जाने के बाद, राणा को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा और जल्द ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उसे हिरासत में लेगी।

सूत्रों के मुताबिक, 64 वर्षीय राणा को NIA की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा, जिसके बाद एजेंसियां उससे गहन पूछताछ करेंगी। राणा, मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी का करीबी साथी है। अमेरिका की अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण के खिलाफ की गई उसकी अपील को खारिज कर दिया था, जिससे भारत को उसे वापस लाने का रास्ता साफ हो गया।

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जहां राणा की पेशी होनी है। कोर्ट परिसर के बाहर अर्धसैनिक बल और दिल्ली पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी राणा को हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखने की पुष्टि की है।

इस प्रत्यर्पण को भारत के लिए एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। 26/11 हमले में जीवित बची और प्रमुख गवाह देविका रोतावन ने इसे न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। रोतावन, जो अब 25 साल की हैं, ने कसाब की पहचान अदालत में की थी और अब राणा को फांसी देने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में छिपे बाकी आतंकियों को भी सामने लाया जाना चाहिए।

देविका महज 9 साल की थीं जब वे अपने पिता और भाई के साथ पुणे जाने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) स्टेशन पर मौजूद थीं। तभी वहां आतंकी हमला हुआ, जिसमें उन्हें भी गोली लगी थी। हमले के दौरान उन्होंने कसाब को यात्रियों पर गोली चलाते देखा था। बाद में उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां कई सर्जरी के बाद उनका इलाज हुआ।

तहव्वुर राणा का भारत आना न सिर्फ कानून के लिए एक जीत है, बल्कि 26/11 में जान गंवाने वालों और पीड़ितों के लिए भी न्याय की उम्मीद लेकर आया है।

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