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मुंबई के साथ-साथ दिल्ली को भी बनाना था टारगेट , तहव्वुर राणा ने पूछताछ में बताया सच

एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) लगातार 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा से पूछताछ कर रही है। पूछताछ के दौरान राणा ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उसने बताया कि मुंबई हमलों के बाद आतंकियों की अगली साजिश दिल्ली में दहशत फैलाने की थी। तहव्वुर राणा ने यह भी बताया कि वह कट्टरपंथी संगठन मरकज-उद-दावत-वल-इरशाद (एमडीआई) के जरिए कनाडा में युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर ला रहा था और वहां स्थानीय लोगों को धार्मिक उपदेश भी देता था। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने के साथ-साथ इस्लामिक शिक्षा और चैरिटी के नाम पर फंडिंग करता रहा है। बाद में इस संगठन का नाम जमात-उद-दावा रख दिया गया।

तहव्वुर राणा का सीधा संबंध आतंकी संगठन हुजी की 313 ब्रिगेड से है, जिसका नेतृत्व इलियास कश्मीरी करता है। राणा की भूमिका भारत और कनाडा में आतंकी भर्ती, योजना और वित्त पोषण में रही है, जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका भी सामने आई है। तहव्वुर राणा ने दिल्ली में मौजूद छाबड़ हाउस, नेशनल डिफेंस कॉलेज और अन्य अहम ठिकानों की रेकी की थी और इन पर अलग-अलग समय पर हमले की योजना बनाई थी, ताकि कोई एक-दूसरे को पहचान न सके।

दुबई कनेक्शन की जांच भी शुरू

राणा ने यह भी स्वीकार किया है कि उसने भारत में हमलों के लिए पांच से ज्यादा आतंकियों को रसद और आर्थिक मदद दी थी। इससे यह साफ होता है कि डेविड हेडली को केवल राणा ने नहीं, बल्कि पाकिस्तान की आईएसआई ने भी फंडिंग की थी। एनआईए अब तहव्वुर राणा के दुबई से जुड़े कनेक्शन की भी जांच कर रही है, जहां उसकी अब्दुर रहमान नाम के आतंकी से मुलाकात हुई थी। राणा ने माना कि उसने हेडली को आतंकवादी नेटवर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।

कोड वर्ड और ईमेल्स का भी खुलासा

राणा को हेडली की भारतीय गर्लफ्रेंड के बारे में भी जानकारी थी, लेकिन जांच में सामने आया कि उसका किसी साजिश से सीधा जुड़ाव नहीं था। राणा ने हेडली को यह सलाह दी थी कि वह प्रभावशाली और हाई-प्रोफाइल भारतीयों से मिले, ताकि आसानी से सुरक्षात्मक ढांचों में सेंध लगाई जा सके।

एनआईए अब उन सभी संदिग्धों के स्केच तैयार कर रही है जिनके नाम राणा की गवाही में सामने आए हैं – जैसे मेजर इकबाल, मेजर समीर, अबू अनस और कोड नेम ‘डी’। 26/11 हमले के बाद राणा, हेडली और अन्य आतंकियों ने एक कोड भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था और इस मिशन को ‘एमएमपी प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया था, जिसमें डेनमार्क और भारत में आतंकी हमले की योजना शामिल थी।

एनआईए ने तहव्वुर राणा को एक ईमेल आईडी – rawsa1@hotmail.com – और उससे जुड़ी 13 अन्य मेल आईडी के इलेक्ट्रॉनिक डेटा के साथ पेश किया। राणा ने यह कबूल किया कि 26/11 की योजना जकीउर रहमान लखवी के नेतृत्व में, आईएसआई के समर्थन से और “जकी के सूरा” नामक समूह की मौजूदगी में बनाई गई थी।

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