जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पूरे कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। इस कार्रवाई में अब तक 75 ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही NIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है। पकड़े गए ज्यादातर लोग दक्षिण कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या में स्थानीय लोगों ने आतंकियों की मदद की थी।
NIA सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी ने 20 से अधिक ओवर ग्राउंड वर्कर्स को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ शुरू कर दी है। इसके अलावा एजेंसियां कोट भलवाल जेल में बंद दो OGW — निसार अहमद हाजी और मुस्ताक हुसैन — से भी पूछताछ की तैयारी में हैं। ये दोनों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े माने जाते हैं और 2023 में भाटा धुरिया और तोतागली में सेना के काफिलों पर हुए हमलों में आतंकियों की मदद करने के आरोप में पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि राजौरी और पुंछ में सेना पर हुए हमलों और पहलगाम के बैसरन घाटी में हुई आतंकी वारदातों के पीछे एक ही नेटवर्क हो सकता है, या फिर ये आतंकी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के एक ही लश्कर-ए-तैयबा कैंप से प्रशिक्षित होकर आए हों। इसी वजह से कोट भलवाल जेल में बंद इन दोनों OGW से पूछताछ को अहम माना जा रहा है।
दूसरी ओर, सुरक्षाबलों को आशंका है कि आतंकी इलाके की प्राकृतिक गुफाओं और प्राकृतिक ठिकानों का इस्तेमाल कर पिछले 10 दिनों से जंगलों में छिपे हुए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बलों ने पहलगाम की बैसरन घाटी, तारनू हपतगुंड, डावरू और आसपास के जंगलों में गहन सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। जांच एजेंसियां उन मोबाइल टावरों की लोकेशन और कॉल डिटेल्स खंगाल रही हैं जो 20 अप्रैल से इन इलाकों में एक्टिव रहे हैं, ताकि आतंकियों की मूवमेंट और लोकल नेटवर्क का पता लगाया जा सके।

