दिल्ली सरकार ने कांवड़ यात्रियों की सेवा में जुटी समितियों को एक बड़ी राहत दी है। सावन माह में कांवड़ सेवा के लिए अब समितियों को सीधे बैंक खातों में फंड ट्रांसफर किया जाएगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को ऐलान किया कि अब टेंट और अन्य व्यवस्थाओं के लिए टेंडर की प्रक्रिया खत्म कर दी गई है।
रेखा गुप्ता ने कहा कि अब तक जो व्यवस्था थी, उसमें भारी भ्रष्टाचार होता था। टेंडर तो जारी होते थे लेकिन पूरी दिल्ली का काम सिर्फ 2-3 लोगों को ही दे दिया जाता था। करोड़ों रुपए का दिखावा होता था लेकिन सुविधाएं ज़मीनी स्तर तक नहीं पहुंचती थीं। कई समितियों ने शिकायत की थी कि शिविर के आखिरी दिन तक टेंट नहीं लगते थे। लेकिन अब सीधा फंड ट्रांसफर कर सभी रजिस्टर्ड समितियों को कैंप लगाने के लिए सीधे सरकार से पैसा मिलेगा। कोई ठेकेदार नहीं होगा। सिंगल विंडो सिस्टम सभी जरूरी परमिशन 11 डीएम ऑफिसों में 72 घंटे के भीतर दी जाएंगी। रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 30 जुलाई तक सभी समितियों को रजिस्टर कराना होगा। फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व पहले आवेदन करने वालों को पहले फंड मिलेगा। नई समिति गठित कर मुख्यमंत्री धार्मिक उत्सव समिति बनाई गई है, जिसकी कमान संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा को दी गई है।
फंड चार कैटेगरी में बांटा गया जो — ₹50,000 से ₹10 लाख तक।
50% राशि शुरुआत में, 50% कार्यक्रम के बाद, बिल व खर्चों का ब्यौरा देने के बाद। इस बार हर समिति को 1200 यूनिट बिजली भी मुफ्त मिलेगी।
हर कैंप की जिओ टैगिंग की जाएगी। सभी खर्चों की रिपोर्ट डीएम कार्यालय को देनी होगी। कैंप खत्म होने के तीन महीने के भीतर खर्च का हिसाब देना होगा, तभी शेष राशि जारी होगी। सरकार ने शिविरों के दौरान ट्रैफिक और सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी प्लान बनाया है। एसडीएम और तहसीलदार इस पर विशेष निगरानी रखेंगे। मुख्य्मंत्री रेखा गुप्ता का यह फैसला ना सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में अहम कदम है, बल्कि कांवड़ियों की सेवा में जुटी समितियों को सम्मान और सुविधा देने की पहल भी है। इससे सावन में दिल्ली के कांवड़ शिविरों में बेहतर व्यवस्था देखने को मिल सकती है।

