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उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को मिली हरी झंडी, हाईकोर्ट ने हटाई रोक, सरकार को तीन हफ्ते में जवाब का निर्देश

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगी रोक अब खत्म हो गई है। नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार, 27 जून को इस पर अहम फैसला सुनाते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कार्यक्रम जारी करने की अनुमति दे दी है। अब यह कार्यक्रम पहले से तय तारीख से तीन दिन आगे बढ़ाकर जारी किया जाएगा। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने आरक्षण रोस्टर को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ सीटें लगातार एक ही वर्ग के लिए आरक्षित की जा रही हैं, जिससे संविधान के अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हो रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर तीन हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करें। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि किसी उम्मीदवार को नई आरक्षण व्यवस्था से आपत्ति है, तो वह कोर्ट में अपनी बात रख सकता है।दरअसल, बागेश्वर के गणेश कांडपाल और अन्य याचिकाकर्ताओं ने 9 और 11 जून को जारी सरकार की नई पंचायत नियमावली को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुराने आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करके नए आरक्षण को पहले चुनाव से लागू माना, जो कि पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा-126 और पहले के कोर्ट आदेशों के खिलाफ है। राज्य के महाधिवक्ता और स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि यह बदलाव पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। चुनाव को नया पहला चरण मानना आवश्यक था, इसलिए पुराना रोस्टर निरस्त किया गया। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया अब जल्द शुरू होगी। चुनाव की नई तारीखें तीन दिन के भीतर घोषित की जाएंगी। सरकार को कोर्ट के समक्ष तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करना है।

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