सीतापुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहाई ने उत्तर प्रदेश की सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उनकी रिहाई न सिर्फ उनके समर्थकों के लिए खुशी का मौका है, बल्कि इसने राजनीतिक दलों के बीच कई तरह के कयासों को भी जन्म दिया है। खासकर यह सवाल उठ रहा है कि अब आजम खान किस दिशा में जाएंगे—क्या वे बहुजन समाज पार्टी (BSP) में शामिल होंगे, गठबंधन की तैयारी करेंगे या कांग्रेस से बातचीत शुरू करेंगे।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आजम खान बीएसपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं। बीएसपी के साथ आजम खान की विचारधारा और सरोकार कुछ मामलों में मेल खाते हैं, जिससे गठबंधन की संभावना को बल मिल रहा है।
कुछ सूत्रों की मानें तो आजम खान संभावित गठबंधन कर उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी ताकत को और बढ़ा सकते हैं। समाजवादी पार्टी के अंदर भी आजम खान के गठबंधन संबंधी सक्रिय कदमों की चर्चाएं हैं।
तीसरा अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि आजम खान कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन या बातचीत कर सकते हैं। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में लगी है और आजम खान जैसे सियासी नेता को जोड़कर अपने पाले को सशक्त करना चाहती है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम खान की रिहाई पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आजम खान समाजवादी पार्टी के साथ ही हैं और वह पार्टी के साथ ही रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सपा सरकार बनने पर आजम खान और अन्य नेताओं पर लगे मुकदमे वापस किए जाएंगे। अखिलेश ने बीएसपी शामिल होने की अटकलों को खारिज किया है।
रिहाई के बाद आजम खान ने कहा कि उनका ध्यान केवल जनता की सेवा और समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान पर रहेगा। उन्होंने किसी भी सियासी दांव-पेंच को लेकर अभी कुछ कहने से इंकार किया।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम खान की रिहाई ने नए समीकरणों को जन्म दिया है। आगामी चुनावों के संदर्भ में उनके कदम सियासत के कई मोर्चों पर प्रभाव डाल सकते हैं। भविष्य में वे किस दल के साथ गठबंधन करते हैं, ये साफ होगा तो स्थिति और स्पष्ट होगी।

