बिहार में कांग्रेस का सियासी माहौल इन दिनों गर्म है। विधानसभा चुनाव की आहट के बीच पार्टी के नेता एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश में जुटे हैं। आलाकमान से नज़दीकी दिखाने की इस होड़ में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बाजी मार ली है। दरअसल, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी जल्द ही बिहार दौरे पर आने वाली हैं और उनके कार्यक्रम को लेकर प्रदेश कांग्रेस के भीतर खींचतान तेज हो गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी पटना में सदाकत आश्रम से अपने दौरे की शुरुआत करेंगी। यहां वह महिला कांग्रेस संगठनों के साथ संवाद करेंगी और बिहार की राजनीति को महिलाओं की नज़र से समझने की कोशिश करेंगी। इसके बाद उनका कार्यक्रम मोतिहारी में तय हुआ है, जहां वह एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगी।
यही मोतिहारी का कार्यक्रम कांग्रेस के भीतर गुटबाजी का कारण बन गया। सांसद पप्पू यादव हर हाल में प्रियंका को अपने संसदीय क्षेत्र पूर्णिया ले जाना चाहते थे। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम भी चाहते थे कि प्रियंका का कार्यक्रम उनकी पसंद के हिसाब से तय हो। लेकिन अंत में, राजनीतिक अनुभव और मजबूत पकड़ दिखाते हुए अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह मौका अपने नाम कर लिया।
कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण हमेशा से गुटों में बंटे रहे हैं। मौजूदा समय में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का गुट युवा नेताओं के बीच प्रभावशाली माना जाता है। वहीं, पूर्व अध्यक्ष मदन मोहन झा का प्रभाव मिथिलांचल क्षेत्र तक सीमित है। तीसरे गुट के रूप में अखिलेश प्रसाद सिंह को माना जाता है, जिन्हें अक्सर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का समर्थन मिलता रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रियंका गांधी के बिहार आगमन से कांग्रेस को एक नया राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने का मौका मिल सकता है। खासकर तब, जब पार्टी को यूपी और बिहार से लोकसभा चुनाव के लिए बड़ी उम्मीदें हैं। हालांकि, गुटबाजी की यह तस्वीर यह भी साफ करती है कि कांग्रेस के भीतर सत्ता और नेतृत्व को लेकर असली लड़ाई अभी बाकी है।

