लद्दाख में चल रहे आंदोलन और बिहार की राजनीति पर AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार और विपक्ष दोनों पर निशाना साधा है। Samvad Live से बातचीत में उन्होंने कहा कि लद्दाख में जो गुस्सा दिख रहा है, उसे केवल सोनम वांगचुक से जोड़ना गलत है। यह गुस्सा वहां के हर आम इंसान का है, क्योंकि उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया गया है।
ओवैसी ने कहा कि लद्दाख के लोगों को ऐसे दरकिनार किया गया है जैसे दूध से मक्खी निकालकर फेंक दी जाती है। उन्होंने साफ कहा कि यह विरोध अचानक नहीं है, बल्कि लोगों की लंबे समय से हो रही अनसुनी का नतीजा है। AIMIM नेता ने भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी लद्दाख की जनता के साथ खड़ी है।
बिहार की राजनीति पर बोलते हुए ओवैसी ने बताया कि उनकी पार्टी महागठबंधन से जुड़ना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दोनों को चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में छह सीटों और सीमांचल बोर्ड बनाने की मांग रखी गई थी। उन्होंने कहा कि “हमें मंत्री पद नहीं चाहिए था, बस सीमांचल की जनता के लिए एक बोर्ड बना दीजिए।”
ओवैसी ने राजद पर तंज कसते हुए कहा कि बाहर दिखाने के लिए ढोल बजाया गया, लेकिन असली काम कुछ नहीं हुआ। उन्होंने लालू-तेजस्वी को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो हैदराबाद आकर चुनाव लड़ें। सीमांचल से अपने जुड़ाव पर उन्होंने कहा, “हमें वहां की जनता से मोहब्बत है, और मोहब्बत में इल्जाम लगते ही रहते हैं।”
केंद्र सरकार पर भी उन्होंने तीखा हमला बोला। सीमांचल में घुसपैठ के आरोपों पर कहा कि जब ग्यारह सालों से सत्ता एनडीए के पास है और हर जगह बीएसएफ तैनात है, तो फिर घुसपैठ के लिए जिम्मेदार कौन है? उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि “अगर कोई घुसपैठिया है तो वह शेख हसीना हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री खुद बांग्लादेश से लाकर बैठा रहे हैं।”
ओवैसी ने सीमांचल में विकास की कमी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आज तक यहां एम्स नहीं बना और न ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कैंपस को लेकर किए गए वादे पूरे हुए। उनके मुताबिक, चाहे सरकार कोई भी रही हो, सीमांचल और लद्दाख जैसे इलाकों की अनदेखी हमेशा होती आई है।

