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बिहार चुनाव 2025: जन सुराज पार्टी की 36 सीटों पर मजबूती, NDA और महागठबंधन को दे रही चुनौती l

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जारी सर्वे की रिपोर्ट में जन सुराज पार्टी (JSP) ने 36 विधानसभा सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ दर्शाई है, जो बिहार की राजनीति में एक नया बदलाव ला सकती है। यूपी के पूर्व रणनीतिकार प्रशांत किशोर की इस नई पार्टी ने पूर्णिया, मगध, भोजपुर, भागलपुर, सारण और पटना क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जो एनडीए और महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है.

Ascendia एजेंसी के द्वारा किए गए ‘बैटल ऑफ बिहार 2025’ सर्वे में यह सामने आया है कि जन सुराज पार्टी दक्षिण बिहार में अधिक मजबूत स्थिति में है, खासकर पटना के 21 और सारण के 24 सीटों पर पार्टी का प्रभाव बढ़ रहा है। भोजपुर में भी जन सुराज पार्टी सबसे मजबूत पार्टी के तौर पर उभर रही है, जहां इस बार बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। वहीं पूर्णिया क्षेत्र में जहां मुस्लिम आबादी करीब 46% है, वहां अभी एनडीए की स्थिति मजबूत बनी हुई है.

सर्वे के मुताबिक एनडीए 47 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि महागठबंधन 19 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। दोनों गुटों के बीच इस चुनाव में कड़ी टक्कर बनी हुई है, लेकिन जन सुराज पार्टी ने तीसरे विकल्प के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, जो पूरी राजनीतिक तस्वीर को प्रभावित कर सकती है। 2020 के चुनाव में बिहार में वोट प्रतिशत बेहद करीबी था, और अब जन सुराज पार्टी के एंट्री के कारण यह और भी रोचक हो गया है.

प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी में खास तौर पर दलित, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार शामिल किए हैं। दावा किया गया है कि पार्टी कम से कम 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव में उतारेगी, ताकि समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व बेहतर तरीके से हो सके। इसके अलावा, पार्टी की दक्षिण बिहार में पकड़ मजबूत हो रही है, जबकि उत्तर बिहार में पार्टी की पकड़ सीमित है.

बिहार की यह विधानसभा लड़ाई जातीय समीकरण, गठबंधन की मजबूती और विकास के मुद्दों पर आधारित है। सर्वे के अनुसार मतदाता अभी भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधनों के बीच झूल रहे हैं, लेकिन जन सुराज पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता से एक नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है। कई विश्लेषकों का कहना है कि यदि जन सुराज पार्टी दोनों तरफ से वोट काटती है, तो चुनाव परिणाम किसी भी दिशा में जा सकता है, और संभव है कि कोई गठबंधन स्पष्ट बहुमत के बिना चुनाव जीते.

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