भारत और ऑस्ट्रेलिया अब साथ मिलकर चीन को “देख लेने” के मूड में आ चुके हैं – और ये कोई जुमला नहीं, बल्कि पॉलिटिक्स और डिफेंस की दुनिया में बड़ा बदलाव है। पहली बार मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 9-10 अक्टूबर को आधिकारिक दौरे पर ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं। और ये दौरा सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए नहीं है – यहां असली प्लानिंग हो रही है, असली डील्स साइन हो रही हैं।
चीन का दायरा हिंद-प्रशांत इलाके में जितना बढ़ रहा है, उतना ही देशों की पेशानी पर पसीना भी। साउथ चाइना सी में वो जैसे अपना पर्सनल स्वीमिंग पूल समझकर घूम रहा है – और छोटे देशों को डराकर बैठा रहा है। लेकिन अब भारत और ऑस्ट्रेलिया ये सब चुपचाप देखने के मूड में नहीं हैं।
राजनाथ सिंह की ऑस्ट्रेलिया यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत-ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) को पांच साल पूरे हो रहे हैं। इस दौरे में ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स से मीटिंग होगी – और दोनों देशों के बीच तीन अहम रक्षा समझौतों पर साइन होने की उम्मीद है।
जरा सोचिए – समुद्री सुरक्षा, जॉइंट मिलिट्री ड्रिल, और जानकारी साझा करने जैसे मामलों पर पक्का समझौता! मतलब सिर्फ दोस्ती की चाय नहीं, अब एक्शन का टाइम है। और ये सब इसलिए, क्योंकि अमेरिका अब पहले जैसा “दुनिया का चौकीदार” नहीं रह गया है। ट्रंप साहब ने जब से घरेलू मुद्दों में खुद को झोंका, तब से अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों का वजन थोड़ा ढीला पड़ा है।
इसलिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपींस जैसे देश अब सोच रहे हैं – “चलो खुद ही टीम बना लेते हैं।” यही है क्वाड की असली ताकत।
भारत तो पहले से फ्रंट फुट पर है – फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल दे रहा है, वियतनाम को गश्ती जहाज़ और सोनार सिस्टम भेज चुका है। अब ऑस्ट्रेलिया को भी टेक्नोलॉजी, रक्षा उत्पादन और रिसर्च जैसी चीज़ों में साथ लाने की कोशिश हो रही है।
और हां, बात सिर्फ हथियारों की नहीं है – सिडनी में राजनाथ सिंह एक खास बिजनेस राउंडटेबल की भी अध्यक्षता करेंगे, जिसमें भारत-ऑस्ट्रेलिया की बड़ी कंपनियां शामिल होंगी। डिफेंस और इनोवेशन का मेल यहां दिखेगा।
ऑस्ट्रेलिया की ओर से यह दौरा भी गंभीरता से लिया जा रहा है। जून में ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स खुद भारत आए थे और तब से इस डील का बेस तैयार किया जा रहा था। अब जब बात पक्की होने जा रही है, तो उम्मीद है कि हिंद-प्रशांत में चीन को हर चाल पर “काउंटर मूव” मिलेगा।
मिलकर चलेंगे तो तगड़ा पड़ेंगे – यही सोच है भारत और ऑस्ट्रेलिया की। और इस बार सिर्फ बातें नहीं हो रहीं, असली एक्शन की तैयारी है। चीन को अब हर कोने से जवाब मिलेगा – वो भी “मेड इन इंडिया” और “मेड विथ ऑस्ट्रेलिया” स्टाइल में!

