बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लिए दिल्ली की स्पेशल CBI कोर्ट से बड़ा झटका आया है। चर्चित ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले में कोर्ट ने आरोप तय करने का फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि इन तीनों नेताओं और अन्य आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा चलेगा। इस फैसले ने बिहार की सियासत में तूफान ला दिया है और चुनावी समीकरणों पर भी इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है.
IPC 420 (धोखाधड़ी) — सरकारी नौकरी के बदले जमीन लेने का गंभीर आरोप.
इसके अलावा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और अन्य आपराधिक साजिशों से संबंधित धाराएं भी मुकदमे का हिस्सा हैं.
अदालत में बहस के दौरान CBI ने ठोस सबूत पेश किए, जिसके आधार पर आरोप तय हुए हैं.
यह केस उस दौरान का है जब लालू प्रसाद यादव रेलवे मंत्री थे।
आरोप है कि रेलवे में ग्रुप डी और अन्य नौकरियों के बदले बिहार के गरीबों से उनकी जमीनें ली गईं।
कुछ मामलों में जमीन देने के बावजूद नौकरी नहीं दी गई, जिससे गरीब आवेदक दोहरे नुकसान का शिकार हुए।
जांच में सामने आया है कि करीब 200 से ज्यादा जमीन के पार्सल नौकरी के बदले HDFC या अन्य नामी कंपनियों और संस्थाओं के जरिये ट्रांसफर कराए गए।
चुनाव के ठीक पहले इस केस का कानूनी शिकंजा तेजस्वी यादव समेत लालू परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका है.
इससे न सिर्फ विपक्षी पार्टियों को हमला बोलने का मौक़ा मिला, बल्कि RJD की साख और चुनावी रणनीति पर भी असर पड़ सकता है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद लालू-राबड़ी-तेजस्वी को अब सीधे-सीधे अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा।
कोर्ट के फैसले के बाद लालू परिवार ने खुद को बेगुनाह बताया है और कानूनी लड़ाई के लिए तैयार रहने की बात कही है।
अब चुनाव के दौरान यह मामला खबरों और राजनीतिक बहस में छाया रहेगा, जिसका सीधा असर वोटिंग पैटर्न और चुनावी नतीजों पर भी देखने को मिल सकता है.

