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25 साल चॉल में रहने के बाद बदली किस्मत, ‘मुन्ना भाई MBBS’ की ये एक्ट्रेस बनी ओटीटी क्वीन

राजकुमार हिरानी ने अपने निर्देशन करियर की शुरुआत 2003 में फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ से की थी, जो सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म में संजय दत्त ने मुख्य भूमिका निभाई थी, जहां वह ‘मुन्ना’ नाम के एक किरदार में नजर आए थे। कहानी के मुताबिक, मुन्ना का सपना डॉक्टर बनने का नहीं बल्कि वह एक गुंडे के रूप में अपनी पहचान बना चुका था। लेकिन जब उसके पिता उसकी डॉक्टर बनने की इच्छा जाहिर करते हैं, तो वह उन्हें खुश करने के लिए मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से एडमिशन ले लेता है।

इस फिल्म में प्रिया बापट ने भी एक छोटी मगर यादगार भूमिका निभाई थी। वह कॉलेज की एक छात्रा के रूप में नजर आई थीं, जिसने फिल्म में कहा था – “मैं डॉक्टर नहीं, बल्कि दोस्त बनकर उनकी मदद करना चाहती हूं।” इस डायलॉग के बाद बोमन ईरानी के किरदार ने उन्हें फटकार लगाई थी। फिल्म में उनकी भूमिका भले ही छोटी थी, लेकिन इसने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिलाई।

‘लगे रहो मुन्ना भाई’ में निभाई अहम भूमिका

फिल्म की सफलता के बाद प्रिया बापट को 2006 में रिलीज़ हुई ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ में और भी महत्वपूर्ण भूमिका मिली। समय के साथ उन्होंने मराठी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई और अब वह इस इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्रियों में से एक बन चुकी हैं।

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धमाकेदार एंट्री

फिल्मों के बाद प्रिया ने ओटीटी की दुनिया में भी कदम रखा और अपनी शानदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया। हाल ही में वह सोनी लिव की सीरीज ‘रात जवां है’ में नजर आई थीं। इससे पहले, वह ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’ में एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली किरदार पूर्णिमा गायकवाड़ के रूप में दिखाई दीं, जिसने हिंदी दर्शकों के बीच उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया।

एक्ट्रेस बनने को लेकर नहीं थी कोई योजना

हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में प्रिया बापट ने खुलासा किया कि जब वह ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ का हिस्सा बनी थीं, तब तक उन्हें खुद भी यह एहसास नहीं था कि वह अभिनेत्री बनना चाहती हैं। उन्हें अपने करियर को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। बाद में, जब वह कई फिल्मों और विज्ञापनों में काम कर चुकी थीं, तब उन्हें यह समझ में आया कि उन्हें एक्टिंग को ही अपना करियर बनाना है।

कैसे मिली ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में भूमिका?

प्रिया ने ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ में अपने चयन को लेकर बताया कि यह एक बहुत ही सरल प्रक्रिया थी। राजकुमार हिरानी की टीम से कॉल आने के बाद उन्होंने ऑडिशन दिया और तुरंत चुन ली गईं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा – “मैं राजकुमार हिरानी के ऑफिस गई, ऑडिशन दिया और मुझे रोल मिल गया। यह इतना आसान था!”

मुंबई की चॉल में बिताए 25 साल

प्रिया बापट ने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि वह मुंबई के दादर की एक चॉल में पली-बढ़ी हैं और उन्होंने वहां करीब 25 साल बिताए। वह शादी से पहले तक वहीं रहती थीं।

चॉल के जीवन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक रहने की जगह नहीं, बल्कि एक परिवार की तरह था। त्योहारों में सब एक साथ दिवाली मनाते थे और बचपन में दोस्तों के साथ खेलना उनकी सबसे खूबसूरत यादों में से एक है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी चॉल में हर मंजिल पर स्थित घर आपस में दरवाजों से जुड़े हुए थे, जिससे एक घर से दूसरे घर में जाना बेहद आसान था। यही कारण था कि वहां के सभी परिवारों के बीच गहरा जुड़ाव बना रहा।आज प्रिया बापट अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर बॉलीवुड, मराठी सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।

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