बॉलीवुड ने हमें कई ऐसे सितारे दिए हैं, जिन्होंने अपनी शानदार अदाकारी और यादगार किरदारों से दर्शकों का दिल जीत लिया। भले ही अब वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों और भूमिकाओं को आज भी लोग बड़े प्यार से याद करते हैं। आज हम एक ऐसी दिवंगत अभिनेत्री की बात कर रहे हैं, जिन्होंने 250 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और अपनी अद्वितीय अदाकारी से मां और दादी के किरदारों में अमिट छाप छोड़ी।
आपको प्रसिद्ध गीत “ए मेरी जोहरा जबीं” तो जरूर याद होगा, जिसमें बलराज साहनी के साथ एक दिग्गज अभिनेत्री नजर आई थीं। यह गाना जितना उस दौर में लोकप्रिय था, उतना ही आज भी सुना और पसंद किया जाता है। हम बात कर रहे हैं प्रसिद्ध अभिनेत्री अचला सचदेव की, जिन्होंने बतौर बाल कलाकार फिल्मी सफर की शुरुआत की थी और बाद में हिंदी सिनेमा की प्रतिष्ठित कलाकार बन गईं।
अचला सचदेव: एक यादगार सफर
अचला सचदेव ने कई प्रतिष्ठित फिल्मों में मां और दादी की भूमिका निभाई। ‘आरजू’ (1965), ‘वक्त’ (1965), ‘मेरे नाम जोकर’ (1970), ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ (1971), ‘चांदनी’ (1989), ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (1995), ‘कभी खुशी कभी गम’ (2001), ‘कल हो ना हो’ (2003) जैसी फिल्मों में उन्होंने अपनी भावनात्मक और संजीदा अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में उन्होंने काजोल की दादी का किरदार निभाया, जो आज भी याद किया जाता है।
अकेलेपन और लंबी बीमारी से जूझते हुए निधन
30 अप्रैल 2012 को, पुणे के एक अस्पताल में अचला सचदेव ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अपने अंतिम समय में वे अकेली थीं, और उनके बेटे ज्योतिन, जो अमेरिका में रहते थे, ने उनकी कोई खबर तक नहीं ली।
‘बॉलीवुड की मां’ का छह दशक लंबा सफर
3 मई 1920 को पेशावर (अब पाकिस्तान) में जन्मी अचला सचदेव एक पंजाबी परिवार से थीं। बहुत कम उम्र में उन्होंने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो (AIR) लाहौर में बतौर उद्घोषक (एनाउंसर) काम किया। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया, जहां उन्होंने AIR दिल्ली में काम जारी रखा। इस दौरान उन्होंने कई फिल्मी हस्तियों के इंटरव्यू लिए और छोटे-छोटे किरदारों में भी नजर आईं। अपने करियर में उन्होंने 250 से अधिक फिल्मों में काम किया और छह दशकों तक हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाए रखी। इसके अलावा, उन्होंने पंजाबी और गुजराती फिल्मों में भी अभिनय किया।
दो शादियां, फिर भी तन्हा जिंदगी
1950 में, अचला सचदेव को फिल्म ‘दिलरुबा’ में देव आनंद की बहन का किरदार निभाने का मौका मिला, जिससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली। इसके बाद उन्हें कई बड़े बैनर की फिल्मों में अभिनय करने का अवसर मिला। उन्होंने ‘संगम’, ‘फुटपाथ’, ‘दिल एक मंदिर’, ‘मिस मैरी’ जैसी हिट फिल्मों में शानदार अभिनय किया।
अचला सचदेव ने दो शादियां कीं। उनकी पहली शादी ज्ञान सचदेव से हुई थी, जबकि दूसरी शादी क्लिफोर्ड डगलस पीटर्स से की। हालांकि, दोनों शादियों के बावजूद, अपने अंतिम समय में वे अकेली ही रहीं।अचला सचदेव भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्में और यादगार किरदार हमेशा दर्शकों के दिलों में जिंदा रहेंगे।

