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तलाक, कैंसर और तन्हाई के बाद 12 साल में बॉलीवुड में सुपरस्टार की धांसू वापसी

    बॉलीवुड में कम ही सेलेब्रिटी ऐसे होते हैं जो अपने निजी रिश्तों के बारे में खुलकर बात करते हैं, खासकर तब जब वे रिश्ते सफल नहीं हो पाते। अक्सर सितारे या तो इस मामले में चुप्पी साध लेते हैं या फिल्मी दुनिया से दूरी बना लेते हैं। आज हम एक ऐसी अभिनेत्री के बारे में बात करेंगे, जो हमेशा से अपने रिश्तों को लेकर बेबाक रही हैं। 90 के दशक की सबसे सफल और खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक रहीं, शादी के बाद उन्होंने सिनेमा से कुछ समय के लिए दूरी बना ली, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझीं, लेकिन अब एक शानदार कमबैक के साथ वापस आकर लोगों का दिल जीत लिया है। यह कोई और नहीं, बल्कि मनीषा कोइराला हैं।

    इन फिल्मों ने दिलाई पहचान

    मनीषा कोइराला ने ‘सौदागर’, ‘1942: ए लव स्टोरी’, ‘अकेले हम अकेले तुम’, ‘गुप्त’, ‘बॉम्बे’ और ‘खामोशी’ जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। हाल ही में उन्होंने अपने जीवन के सफर के बारे में खुलकर बात की और बताया कि कैंसर से लड़ते हुए उन्हें असली रिश्तों की अहमियत का एहसास हुआ। व्यवसायी सम्राट दहल के साथ उनकी असफल शादी के बारे में भी मनीषा पहले ही खुलकर बात कर चुकी हैं। उन्होंने बताया था कि वे सम्राट से फेसबुक पर मिली थीं। 46 वर्षीय अभिनेत्री ने 19 जून 2010 को नेपाली रीति-रिवाजों के अनुसार सम्राट से शादी की, लेकिन 2012 में ही दोनों का तलाक हो गया। उसी साल मनीषा को कैंसर का पता चला, जिसके इलाज के लिए वह न्यूयॉर्क चली गईं। साल 2015 में उन्होंने घोषणा की कि वह कैंसर को हरा चुकी हैं और अब अपने करियर को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रही हैं।

    कैंसर से लड़ी जंग

    मनीषा कोइराला ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैंसर से लड़ाई ने उन्हें जीवन और रिश्तों के बारे में कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए। उन्होंने कहा कि बीमारी के दौरान, जिन दोस्तों पर वह भरोसा करती थीं, उनमें से कई ने उनका साथ छोड़ दिया। केवल उनका करीबी परिवार ही उनके साथ खड़ा रहा। उन्होंने यह भी बताया कि आर्थिक रूप से संपन्न होने के बावजूद, उनके परिवार के कई लोग उनके कैंसर के दौरान उनसे मिलने नहीं आए। इस अनुभव ने उन्हें थेरेपी लेने के लिए प्रेरित किया, जो उनके लिए बेहद मददगार साबित हुई। NDTV के साथ एक साक्षात्कार में मनीषा ने कहा, ‘यह एक यात्रा रही है, जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मुझे लगता था कि मेरे कई दोस्त हैं, लेकिन जब मैं बीमार पड़ी, तो मैंने महसूस किया कि लोग साथ में पार्टी करने, यात्रा करने और मस्ती करने के लिए तो तैयार हैं, लेकिन किसी के दर्द में साथ बैठने के लिए नहीं। लोग दर्द के साथ बैठने में सक्षम नहीं हैं। हम हमेशा दर्द से बचने के बहाने ढूंढते हैं। यह मानव स्वभाव है। मैंने खुद को बहुत अकेला पाया और एहसास हुआ कि मेरे आसपास सिर्फ मेरा करीबी परिवार ही था।’

    कैंसर ने दी जीवन की सीख

    मनीषा ने आगे कहा, ‘मेरा एक बड़ा परिवार है, लेकिन कैंसर के दौरान मेरे साथ सिर्फ मेरे माता-पिता, भाई और भाभी ही थे। मेरा पूरा खानदान संपन्न है, लेकिन उनमें से कोई भी मेरे साथ नहीं आया। इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि जब सब छोड़ देंगे, तो सिर्फ आपका परिवार ही आपके साथ खड़ा होगा। अब मेरी प्राथमिकता मेरा परिवार है, बाकी सब बाद में आता है।’

    हाल ही में मनीषा ने ओटीटी की दुनिया में भी अपनी धमाकेदार वापसी की है। उन्होंने सुपरहिट सीरीज ‘हीरामंडी’ में अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया है। मनीषा कोइराला का जीवन संघर्ष और सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें यह सिखाती है कि मुश्किल समय में सच्चे रिश्तों की अहमियत क्या होती है।

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