
बिहार के अररिया जिले में एसटीएफ ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत कुख्यात अपराधी चुनमुन झा उर्फ राकेश झा को मुठभेड़ में मार गिराया। अपराध की दुनिया में उसका सफर छोटी-मोटी चोरियों से शुरू हुआ था, लेकिन समय के साथ वह बड़े अपराधों में शामिल होता चला गया। साल 2021 में पूर्णिया में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता अनिल उरांव के अपहरण और हत्या के मामले में उसका नाम सामने आया, जिसके बाद वह पुलिस के निशाने पर आ गया। उसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ ने उस पर तीन लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
बताया जाता है कि अररिया में चोरी और शराब बरामदगी के मामलों में आरोपी बनने के बाद चुनमुन झा ने पूर्णिया की हाउसिंग कॉलोनी में अपने दादा के घर में शरण ली थी। उसके दादा पंचमुखी मंदिर के प्रधान पुजारी हैं। इसी दौरान वह अभिषेक सिंह नाम के युवक के संपर्क में आया और वहां अपराधियों को प्रशिक्षण देने का काम करने लगा। धीरे-धीरे वह कुख्यात अपराधी बिट्टू सिंह के संपर्क में भी आ गया, जिससे उसकी आपराधिक गतिविधियों में तेजी आई।
2021 में जब लोजपा नेता अनिल उरांव का अपहरण कर फिरौती मांगी गई और फिर तीन दिन बाद उनकी लाश भुटहा मोड़ के पास मिली, तो इस हत्याकांड ने पूरे बिहार में सनसनी फैला दी। इस मामले में चुनमुन झा का नाम भी उभरकर सामने आया था।
इसके बाद वह अररिया लौट आया और अपने पिता विनोद झा के साथ रहने लगा। जुलाई 2024 में पूर्णिया के एक मशहूर तनिष्क ज्वेलरी शोरूम से 3.70 करोड़ रुपये की लूट में भी उसका नाम चर्चा में आया। इस कांड के बाकी अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन चुनमुन झा फरार रहा। इस बीच, पलासी के मुखिया पर जानलेवा हमले में भी उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
हाल ही में आरा के तनिष्क शोरूम में करीब 10 करोड़ रुपये की ज्वेलरी लूट में भी उसका नाम सामने आया, जिससे पुलिस ने उसकी तलाश और तेज कर दी। पूर्णिया पुलिस ने उसके घर की कुर्की-जब्ती की कार्रवाई शुरू कर दी थी, लेकिन इससे पहले ही अररिया पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में चुनमुन झा को मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया। इस तरह बिहार के कुख्यात अपराधी की आपराधिक गतिविधियों पर हमेशा के लिए विराम लग गया।