बॉलीवुड में जब एक नीली आँखों वाला अभिनेता अपनी पहली ही फिल्म से छा गया, तो लोगों ने सोचा कि अब इसका सिक्का इंडस्ट्री में चलेगा। हालांकि, यह कलाकार फिल्मी दुनिया से पहले से ही जुड़ा हुआ था। कम उम्र में ही, इसने एक बाल कलाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत कर दी थी। यह अभिनेता कोई और नहीं, बल्कि साल 2000 की म्यूजिकल ड्रामा फिल्म मोहब्बतें में अपनी भूमिका से दर्शकों का दिल जीतने वाले जुगल हंसराज हैं।
अपने शानदार अभिनय के बावजूद जुगल हंसराज फिल्म इंडस्ट्री में खुद को लंबे समय तक स्थापित नहीं कर सके। जब अभिनय में खास सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने लेखन का रास्ता चुना। साल 2016 के बाद से उन्होंने गिनी-चुनी फिल्मों में काम किया। लेकिन अब, करीब 10 साल बाद, उन्होंने करण जौहर के प्रोडक्शन की फिल्म नादानियां से कमबैक किया। इस फिल्म में उनके साथ सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान और श्रीदेवी की बेटी खुशी कपूर नजर आए।
फिल्म को लेकर हुई आलोचना और ट्रोलिंग
हालांकि, फिल्म दर्शकों को प्रभावित नहीं कर पाई। कमजोर कहानी और कलाकारों के प्रदर्शन की वजह से सोशल मीडिया पर इसे जमकर ट्रोल किया गया। खासकर इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर को दर्शकों ने खूब लताड़ा। साथ ही, फिल्म में नजर आए दिग्गज कलाकार सुनील शेट्टी, महिमा चौधरी, जुगल हंसराज और दिया मिर्ज़ा को भी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने सवाल उठाया कि इन अनुभवी कलाकारों ने इतनी कमजोर कहानी वाली फिल्म क्यों चुनी।
जुगल हंसराज ने ट्रोलिंग पर दिया जवाब
इस पूरे विवाद पर जुगल हंसराज ने अपनी राय रखते हुए कहा,
“आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए। अगर कोई सिनेमा को समझता है या इसमें अनुभव रखता है और वह इस पर अपने विचार साझा करता है, तो यह फायदेमंद हो सकता है। इससे सीखने को मिलता है। लेकिन सोशल मीडिया पर मैंने देखा है कि ज्यादातर व्यक्तिगत हमले किए जाते हैं, जो आलोचना नहीं, बल्कि सिर्फ तुच्छ बातें होती हैं।”
उन्होंने आगे कहा,”80 के दशक में कई नए अभिनेताओं ने अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन तब सोशल मीडिया नहीं था। इसलिए उन्हें सुधार करने और बेहतर बनने का अवसर मिला। जब हमने करियर शुरू किया था, तब हम सभी की स्थिति अजीब थी, लेकिन उस समय इस तरह की अनुचित टिप्पणियाँ नहीं होती थीं। आज, दुर्भाग्य से, नए कलाकारों को बहुत ज्यादा ट्रोल किया जाता है। व्यक्तिगत हमले सही नहीं हैं। अगर आपको कुछ कहना है, तो रचनात्मक आलोचना करें, जिससे कलाकारों को सीखने और बेहतर बनने का मौका मिले। लेकिन किसी के रंग-रूप या निजी चीजों पर कमेंट करना अनुचित और गलत है।”
जुगल हंसराज का यह बयान स्पष्ट रूप से सोशल मीडिया ट्रोलिंग के खिलाफ था, और उन्होंने आलोचना के सही मायनों को समझने की जरूरत पर जोर दिया।

