कानपूर देहात- लम्बे समय से आवागमन को लेकर भारी दिक्क्तों का सामना कर रहे ग्रामीणों ने जनपद के अधिकारियो से लेकर जनप्रनिधियो तक पुल के लिए निवेदन करते रहे लेकिन किसी ने भी इस मामले पर संज्ञान नहीं लिया
ग्रामीणों की जब आस खत्म होने लगी तो उन्होंने स्वयं नदी पर पुल का निर्माण का जिम्मा उठाया और लकड़ी का पुल बनाकर खड़ा कर दिया। ये पुल कानपुर देहात से कन्नौज को जोड़ता है। इस नदी से ग्रामीण और बच्चे जान जोखिम में डालकर निकलते है। निकलते समय पानी में डूबकर कई लोगो की जान भी जा चुकी है । ग्रामीणों द्वारा पुल बनाने के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर जरूर दौड़ गई। वहीं यह लकड़ी का पुल जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही को भी दर्शाता है। हलाकि रसूलाबाद विधायिका ने जल्द ही पुल निर्माण कराने की बात कही है।
जनपद कानपुर देहात की रसूलाबाद विकास खंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत मिर्जापुर लकोठिया का मजरा बन्दराहा में आज़ादी के 70 साल बाद ग्रामीण आज भी बदतर हालत में जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं। जिसका मुख्य कारण जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा है। बन्दराहा गांव रसूलाबाद विकास खंड की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। बन्दराहा गांव कन्नौज जनपद की सीमा पर स्थित है। इस गांव में कोई भी प्राथमिक व जूनियर विद्यालय नहीं है। साथ ही विकास कार्यों में गांव वालों से भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है। यहां के रहने वाले लोगो ने बताया कि गांव में कोई विद्यालय नहीं है जिसके चलते गांव के बच्चे नदी पार करके सिमरिया कन्नौज पढ़ने के लिए जाते हैं। लेकिन सिमरिया कन्नौज की दूरी दूसरे रास्ते से बहुत है। जिसके चलते नदी पार करने पर महज 3 किलोमीटर में ही गांव के लोग सिमरिया पहुंच जाते हैं। इसके लिए जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को पांडु नदी पर पुल बनाने की मांग की थी लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद ग्रामीणों ने स्वयं ही पुल बनाने का बीड़ा उठाया और चंदा एकत्र करके लकड़ी मंगवाई और पिलर खड़े करके लकड़ी का पुल बना दिया। जिससे कोई भी पैदल व्यक्ति आसानी से पुल के माध्यम से पांडु नदी को पार कर जाता है। बरसात के मौसम में भारी बारिश के बाद यह पुल बह जाता है। जिसके बाद इस गांव के बच्चे लगभग 3 महीने विद्यालय पढ़ने नहीं जा पाते ।ग्रामीणों ने बताया कि उनके सभी कार्य सिमरिया,औसेर गांव से होते हैं। विषधन की दूरी अधिक होने के कारण कोई नहीं जाता। इसके लिए आवश्यक है कि एक छोटे से पुल का निर्माण करा दिया जाए ताकि गांव को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।