
बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की फिल्मी विरासत उनके बेटे सैफ अली खान के जरिए आज भी जारी है। वहीं, उनके पति और भोपाल के नवाब रहे मंसूर अली खान पटौदी ने भारतीय क्रिकेट में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। हालांकि, उनके परिवार में किसी ने भी क्रिकेट में उनकी परंपरा को आगे नहीं बढ़ाया। बीसीसीआई ने उनकी स्मृति में एक टेस्ट क्रिकेट ट्रॉफी “पटौदी ट्रॉफी” शुरू की थी, लेकिन अब खबर आ रही है कि बोर्ड ने इस ट्रॉफी से पटौदी का नाम हटाने का फैसला कर लिया है।
हाल ही में, शर्मिला टैगोर ने एक इंटरव्यू में बताया कि बीसीसीआई ने उनके बेटे सैफ अली खान को पत्र भेजकर इस निर्णय की सूचना दी है। यह खबर सुनकर शर्मिला टैगोर को दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा कि ट्रॉफी का नाम बरकरार रखना या हटाना पूरी तरह से बीसीसीआई के अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, यह फैसला उनके लिए काफी निराशाजनक है।
मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें टाइगर पटौदी के नाम से जाना जाता था, भोपाल के अंतिम शासक इफ़्तिख़ार अली खान पटौदी के बेटे थे। वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके थे और अपनी शानदार खेल शैली के लिए पहचाने जाते थे। साल 2007 में, बीसीसीआई ने भारत और इंग्लैंड के बीच 75 साल पहले हुए पहले टेस्ट मैच की स्मृति में इस ट्रॉफी की शुरुआत की थी, जिसमें टाइगर पटौदी की क्रिकेटीय विरासत को सम्मान दिया गया था। लेकिन अब बीसीसीआई ने इस ट्रॉफी के नाम में बदलाव करने का निर्णय लिया है।
सैफ अली खान ने अपने पिता के नक्शे कदम पर न चलते हुए फिल्मी करियर को चुना। उन्होंने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उनके अंदर एक खिलाड़ी के अनुशासन की कमी थी, जबकि फिल्मी दुनिया की चकाचौंध उन्हें आकर्षित करती थी। उन्होंने कहा कि यदि वे क्रिकेट में करियर बनाते, तो शायद उतना सफल नहीं हो पाते, क्योंकि खेल में कड़ी अनुशासन और समर्पण की जरूरत होती है, जो उस समय उनके पास नहीं था।
बीसीसीआई के इस फैसले पर अब खेल जगत और पटौदी परिवार की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। शर्मिला टैगोर के लिए यह फैसला दुखद है, लेकिन बोर्ड का कहना है कि यह उनका आंतरिक निर्णय है।