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एनकाउंटर में चली चोरी की बंदूक? पुलिस के झूठ का पर्दाफाश, सच्चाई सामने आई

फर्जी एनकाउंटर को लेकर पुलिस अक्सर सवालों के घेरे में रहती है, और इसी तरह के एक मामले में कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने आरोपी को न सिर्फ रिहा करने का आदेश दिया, बल्कि पूरी मुठभेड़ को संदिग्ध मानते हुए पुलिस टीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके अलावा, पुलिस आयुक्त को इस पूरे मामले की गहन जांच कर तीन महीने के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा गया है।

यह मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर के नजीराबाद थाने से जुड़ा है। तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक ज्ञान सिंह ने 21 अक्टूबर 2020 को थाना अरमापुर में एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया कि दारोगा सुरजीत सिंह, सिपाही बालमुकुंद पटेल, हेड कांस्टेबल ब्रजेश कुमार और जीप चालक अमित कुमार के साथ वे गश्त पर निकले थे। उसी दौरान, दो युवक मोटरसाइकिल पर सवार होकर वहां से गुजरे। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो वे भागने लगे। वायरलेस पर सूचना मिलते ही अरमापुर थाना प्रभारी अजीत कुमार वर्मा ने भी इलाके की घेराबंदी कर दी।

पुलिस के मुताबिक, जब दोनों युवक घिर गए, तो उन्होंने बाइक गिराकर तमंचे से पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिससे दोनों घायल हो गए। पूछताछ में उन्होंने अपने नाम अमित और कुंदन बताए। पुलिस का दावा था कि उनके पास से एक तमंचा और सोने की चेन बरामद हुई थी।

हालांकि, जब यह मामला कोर्ट में पहुंचा, तो पुलिस की कहानी में कई खामियां उजागर हुईं। सबसे बड़ी बात यह थी कि घटनास्थल का कोई सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं था, न ही कोई स्वतंत्र गवाह सामने आया। इसके अलावा, पुलिस की गोलीबारी में कोई पुलिसकर्मी घायल भी नहीं हुआ था। चौंकाने वाली बात यह थी कि जिस तमंचे को आरोपियों के पास से बरामद दिखाया गया, वह 2014 में ही एक अन्य मामले में पुलिस द्वारा जब्त कर कोर्ट के मालखाने में जमा किया जा चुका था। ऐसे में उससे फायरिंग कैसे हो सकती थी?

इन तमाम विरोधाभासों को देखते हुए अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया और पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मुठभेड़ संदिग्ध प्रतीत होती है और इसमें शामिल पूरी पुलिस टीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। साथ ही, अगर जांच में पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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