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यशवंत वर्मा ने ली इलाहाबाद हाईकोर्ट में शपथ, कैश घोटाले की जांच पर अभी भी सवाल

आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने पद की शपथ ग्रहण की। हाल ही में केंद्र सरकार ने उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया था। शपथ समारोह के बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उनका नाम सातवें स्थान पर दर्ज किया गया।

इस बीच, लखनऊ स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया गया था कि जस्टिस वर्मा को शपथ लेने से रोका जाए। याचिका में यह दावा किया गया कि जस्टिस वर्मा पर गंभीर आरोप हैं और इस समय उनकी जांच चल रही है।

मामला 14 मार्च का है, जब दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित उनके सरकारी आवास में आग लग गई थी। आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया। आरोप यह है कि वहां से “नकदी से भरी अधजली बोरियां” बरामद की गईं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के निर्देश पर, दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस वर्मा से जुड़े सभी न्यायिक कार्य फिलहाल वापस ले लिए थे। 22 मार्च को एक तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल हैं।

इस समिति ने जस्टिस वर्मा के आवास का निरीक्षण किया और लगभग 30-35 मिनट तक जांच की। जांच के दौरान कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने के फोटो और वीडियो भी सामने आए थे। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार का इस स्टोररूम में रखी नकदी से कोई संबंध नहीं है। मामला अभी भी जांच के अधीन है और सुप्रीम कोर्ट ने इसकी गंभीरता को देखते हुए जांच जारी रखने का निर्णय लिया है।

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