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हिंदू नववर्ष 2025 का पहला प्रदोष व्रत अप्रैल में, जानिए कब है शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो बार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। भगवान शिव को समर्पित यह व्रत आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष 2025 में अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन आने वाला है, जो नववर्ष का प्रथम प्रदोष व्रत भी होगा। इस विशेष दिन का पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है।

प्रदोष व्रत की तिथि और समय

चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल 2025 को रात 10:55 बजे शुरू होगी और 10 अप्रैल की रात 12:00 बजे के बाद समाप्त होगी। उदयातिथि की गणना के अनुसार व्रत 10 अप्रैल को रखा जाएगा। चूंकि यह दिन गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

पूजन का शुभ मुहूर्त

इस दिन शिव आराधना का उत्तम समय सायं 6:43 बजे से रात्रि 8:58 बजे तक रहेगा। इस समयावधि में शिवलिंग पर जल चढ़ाकर, शिव मंत्रों का जाप करके और धूप-दीप से पूजन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

गुरु प्रदोष व्रत के प्रमुख लाभ

गुरु ग्रह को समृद्धि, ज्ञान और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। जब कोई व्यक्ति गुरु प्रदोष व्रत करता है, तो उसकी कुंडली में गुरु की स्थिति सशक्त होती है। यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि लाता है, करियर और व्यापार में उन्नति देता है तथा पितृ दोषों से भी मुक्ति दिलाता है। साथ ही यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

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