भारत में पिछले कुछ सालों में कई राजनीतिक ड्रामा फिल्में बनी हैं, जिनमें कंगना रनौत की इमरजेंसी हाल की सबसे चर्चित फिल्म है। हालांकि, कई अभिनेता राजनीतिक नेताओं और उनके जोश को पर्दे पर जीवंत करने में सफल रहे हैं, लेकिन ममूटी का 2000 में किया गया अभिनय हमेशा अलग रहेगा। इस बहुमुखी प्रतिभा वाले साउथ सुपरस्टार ने अपने अभिनय से हमेशा दर्शकों का दिल जीता है, लेकिन उनकी फिल्म डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर एक विशेष स्थान रखती है। इस फिल्म ने न केवल हमारे ‘संविधान के जनक’ बाबासाहेब अंबेडकर के विशाल व्यक्तित्व को सही तरीके से पेश किया, बल्कि ममूटी को उनका तीसरा राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिलवाया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म के लिए शुरुआत में ममूटी ने अपनी मूंछों के कारण मना कर दिया था?
निर्देशक जब्बार पटेल ने बताया कि ममूटी ने पहले इस फिल्म के लिए नकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा, “टाइम कमिटमेंट और मूंछें हटाने की जरूरत के कारण, ममूटी इस भूमिका को निभाने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन बाद में उन्होंने हर महीने दस दिन देने का वादा किया और फिर पूरी तरह से इस प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित किया।” ममूटी की भूमिका को फिल्म में बेहद सराहा गया था।
शाहरुख खान ने भी इस फिल्म को करने से मना कर दिया था। जब्बार पटेल ने सबसे पहले इस फिल्म के लिए शाहरुख खान को प्रस्तावित किया था, लेकिन सुपरस्टार ने इसे ठुकरा दिया। शाहरुख ने एक साक्षात्कार में कहा, “मैं किसी वास्तविक जीवन के लिजेंड का चित्रण नहीं कर सकता। इस तरह के किरदार के ग्रे हिस्से किसी के लिए भी दिलचस्प नहीं होंगे। इस तरह के किरदारों के लिए नसीरुद्दीन शाह, नाना पाटेकर या कमल हासन जैसे अभिनेता अधिक उपयुक्त हैं। मैं महात्मा गांधी जैसे किरदार को भी नहीं निभा सकता, क्योंकि मुझे लगता है कि इसके लिए मेरी इच्छाशक्ति और दृढ़ता की कमी है।”
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को केवल 8.95 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में शूट किया गया था। इसके अलावा, हॉलीवुड के रॉबर्ट डी नीरो को भी इस भूमिका के लिए प्रस्तावित किया गया था। इस फिल्म ने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते: सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (ममूटी), सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन (नितिन चंद्रकांत देसाई) और अंग्रेजी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए।

