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UP में नदियों को जोड़ने की ऐतिहासिक पहल , ब्रजेश पाठक का दावा – अब गंगा का जल पीने योग्य

तीसरा विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा. ये कहना था हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का. ये उनके महज़ विचार नही थे. उन्होनें इसके लिये नदियों को जोड़ने की बात भी की थी.उनका माानना था कि देश में बाढ़ और सूखे से तभी निपटा जा सकता है जब हम पानी के बेहतर प्रबंधन और जल संसाधनों के उपयोग को बेहतक तरीके से सुनिश्चित कर पायेंगे. यही वजह है कि आज यूपी के जल शक्ति मंत्री संवतंत्र देव सिंह का कहना था कि यूपी में इस विचार को ज़मीन पर उतारा गया है जिसके चलते कहा जा सकता है कि अगर पानी को लेकर जंग हुयी तो फिर यूपी इस जंग का हिस्सा नही होगा.

लखनऊ में इसी को लेकर एक मंच सजा. इस मंच पर यूपी में नदियों के पुनरद्धार और जल प्रबंधन पर विचार विमर्श किया गया. इस मंच पर मौजूद थे देश के जानें मानें पर्यवरणविद और वाटरमैन के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह. उनका मानना है कि भारत के लिये गंगा महज़ नदी नही है. भारतीयों की आस्था इससे जु़डी हुयी है. यूपी सरकार नें महाकुम्भ 2025 का आयोजन कर साबित कर दिया है कि जिस गंगा को साफ करना एक चुनौती थी, उसी गंगा मे करोडो लोगो नें ना सिर्फ डुबकी लगायी बल्की ये भी साफ हो गया कि गंगा का पानी आचमन के लिये भी कितनी उप्युक्त है.


तो वहीं राज्य स्वच्छ गंगा मिशन परियोजना के निदेशक राजशेखर ने बताया कि नमामी गंगे की शुरुआत 2014 में हुयी थी. इसका असर अब देखनें को मिल रहा है. महाकुम्भ इसका सबसे बडी मिसाल है. यूपी में गंगेय डालफिन की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है. पहले जहां 600 डालफिन हुआ करती थी अब ये संख्या 2000 तक हो गयी है.
वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि 2014 में भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदूषण की रोकथाम, गंगा के संरक्षण और कायाकल्प के लिए नमामि गंगे परियोजना शुरू की। महाकुंभ सरकार के नदी सफाई प्रयासों का सबसे बड़ा उदाहरण है। दुनिया भर के लोग और यहां तक ​​कि शोध विश्वविद्यालय भी यह देखकर हैरान हैं कि 66 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई और अपने साथ 5-10 लीटर शुद्ध पानी भी ले गए. कानपुर का ज़क्र करते हुये ब्रजेश पाठक नें कहा कि पहले लोग टेनरी प्रदूषण के कारण गंगा के पानी को छूना भी नहीं चाहते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. कानपुर हो या कोई और जगह, हमने नदी को साफ रखने के लिए एसटीपी और वाटर प्यूरीफायर लगाए हैं। न सिर्फ गंगा, बल्कि उसकी सहायक नदियों पर भी सरकार ने काम किया. नमामि गंगे के तहत नदियों की सफाई के साथ-साथ घाटों के सौंदर्यीकरण के काम को भी प्राथमिकता दी गई।

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