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ग़ज़ल से इंकार करने पर धमकी का शिकार बना मुस्लिम पत्नी वाला हिंदू गायक

पंकज उधास, जिनकी मधुर आवाज ने ‘ना कजरे की धार’ और ‘चिट्ठी आई है’ जैसे गाने अमर बना दिए, का 25 फरवरी 2024 को मुंबई में 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका नाम भारत में उन गायक-गजलकारों में गिना जाता है, जिनकी कला और आवाज हर दिल को छू जाती थी। उनकी जिंदगी और करियर से जुड़ी कई अनकही बातें और किस्से भी बेहद दिलचस्प हैं।

पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में एक हिंदू गुजराती परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई वहीं पूरी की, लेकिन बाद में परिवार मुंबई आ गया। मुंबई में उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। कॉलेज के दिनों में उन्होंने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाकर 51 रुपये का पुरस्कार भी जीता था। पंकज उधास ने फिल्म ‘कामना’ के लिए अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया था, लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं रहा। असली सफलता उन्हें 1986 में आई फिल्म ‘नाम’ के सुपरहिट गाने ‘चिट्ठी आई है’ से मिली।

पंकज उधास की लव स्टोरी भी खास थी। उनकी मुलाकात फरीदा से हुई, जो एयर होस्टेस थीं। दोनों की शादी को लेकर फरीदा के परिवार ने शुरू में विरोध किया, क्योंकि वह मुस्लिम परिवार से थीं, लेकिन पंकज ने हार नहीं मानी और अंततः 11 फरवरी 1982 को दोनों ने शादी कर ली। उनकी दो बेटियां नायाब और रिवा हैं।

पंकज उधास की लोकप्रियता इतनी थी कि एक बार एक स्टेज शो के दौरान किसी ने उन्हें बंदूक की नोक पर गजल गाने को मजबूर कर दिया था। पंकज ने उस शख्स की फरमाइश पूरी की, लेकिन यह घटना उनके लिए बेहद डरावनी रही।

पंकज उधास ने अपने संगीत करियर में कई गज़ल और गीत दिए, जिनमें ‘ना कजरे की धार’, ‘चिट्ठी आई है’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘आहिस्ता’, ‘आज फिर तुमपे प्यार आया है’, ‘थोड़ी थोड़ी पिया करो’, ‘आदिमी खिलौना है’, ‘चुपके चुपके सखियों से’, ‘यूं मेरे खत का जवाब आया’, ‘पीने वालों सुनो’ और ‘मैखाने से शराब से’ जैसे गीत शुमार हैं, जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

आज, 17 मई को पंकज उधास की 73वीं जयंती है। इस खास दिन पर हम उनके यादगार संगीत और उनकी ज़िंदगी की उन पलों को याद करते हैं जिन्होंने हमें उनकी आवाज़ के दीवाने बनाया।

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