इटावा जिले में कथावाचकों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे के बाद मामला गरमा गया है। कथावाचकों मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव पर फर्जी आधार कार्ड और जाति छिपाकर कथा वाचन करने का आरोप लगाते हुए धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। इस कार्रवाई के विरोध में अहीर रेजीमेंट और यादव संगठनों ने थाना बकेवर का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने थाने के बाहर जमकर नारेबाजी की और सड़क को जाम कर प्रशासन के खिलाफ रोष जताया। उन्होंने कथावाचकों पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने और गगन यादव की तत्काल रिहाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कथावाचकों के साथ जातिगत आधार पर अत्याचार हुआ है और अब उन्हें ही दोषी बना दिया गया है। घटना के बाद क्षेत्र में गहरा असंतोष है। बड़ी संख्या में यादव संगठन और अहीर रेजीमेंट के सदस्य एकजुट होकर थाना पहुंचे। उनका कहना है कि कथावाचकों पर गलत तरीके से केस दर्ज किया गया है, जबकि असली दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस घटनाक्रम के दौरान कथावाचक संत सिंह यादव ने भावुक होकर अपनी पीड़ा साझा की। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “हम इतना टूट चुके थे कि जीने की इच्छा ही खत्म हो गई थी। हमारे साथ जो हुआ, वैसा किसी के साथ न हो। हमें जाति के नाम पर प्रताड़ित किया गया। हमारी माला छीनी गई, कंठी तोड़ दी गई, मुंडन कर दिया गया। हमारे ऊपर जल या मूत्र फेंका गया, जूते पर नाक रगड़वाई गई। हमारे बच्चों तक को डराया गया। क्या यही इंसाफ है?” पुलिस ने इस मामले में संतुलन बनाते हुए कथावाचकों के साथ मारपीट करने वाले चार लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। वहीं कथावाचकों पर धोखाधड़ी और पहचान छिपाने के आरोप में अलग से मुकदमा दर्ज किया गया है। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन, समाज और धार्मिक विश्वासों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर जाति के नाम पर कथित प्रताड़ना की बात सामने आ रही है, वहीं दूसरी ओर पहचान छिपाकर धार्मिक कार्यक्रम करने के आरोप भी गंभीर हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन निष्पक्ष जांच कर सच्चाई सामने लाता है या यह मामला भी राजनीतिक और सामाजिक दबावों के बीच दबकर रह जाएगा।

