नई दिल्ली – लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि आज जब हमारा देश प्राचीन ज्ञान और आधुनिक आकांक्षाओं के साथ आगे बढ़ रहा है, ऐसे में भारत के दृढ़ संकल्प, नवाचारों, समावेशिता और विकास की गाथा को सही ढंग से और ईमानदारी के साथ बताया जाना चाहिए। ऐसे समय में जब सूचनाएँ तेज़ी से फैल रही हैं और धारणाओं से जन संवाद और नीतियां प्रभावित हो रही हैं, यह बहुत जरूरी हो जाता है कि लोगों तक विश्वसनीय जानकारी पहुँचाई जाए।
आज संसद परिसर में भारतीय सूचना सेवा (IIS) के 2023-24 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि आई आई एस अधिकारियों पर न्यू इंडिया के बारे में जानकारी देने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जन संवाद को प्रभावित करने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल मीडिया और चौबीसों घंटे समाचार प्रवाह के इस युग में सूचना अधिकारी की भूमिका और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है। गलत और झूठी बातें तेज़ी से फैलती हैं। ऐसे में, एक सूचना अधिकारी के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह शासन की बारीकियों को समझते हुए लोगों को समय पर स्पष्ट और तथ्य-आधारित जानकारी प्रदान करे ।
श्री बिरला ने युवा सिविल सेवकों से आग्रह किया कि वे न केवल सरकार की आवाज़ बनें, बल्कि नीतियों की व्याख्या करते हुए इन्हें आमजन को समझाएं और पारदर्शिता के रक्षक भी बनें। उन्होंने आगे कहा कि आईआईएस अधिकारी केवल सरकारी नीतियों के संप्रेषक ही नहीं, बल्कि राज्य और वहां रहने वाले लोगों के बीच का सेतु भी हैं। इसलिए उन्हें भारत, इसकी विविधता और इसके लोकतांत्रिक मूल्यों को समझना होगा। श्री बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में तेज़ी से हो रहे सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन को देखते हुए, सिविल सेवकों को आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए।
अध्यक्ष महोदय ने कहा कि सिविल सेवकों के लिए संसदीय प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों को समझना बहुत आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे लोकतंत्र का केंद्र हमारी संसद है जो एक ऐसी सर्वोच्च विधायी संस्था है जहाँ विचार-विमर्श होता है, कानूनों पर बहस होती है और उन्हें पारित किया जाता है, तथा सरकार को जवाबदेह ठहराया जाता है। श्री बिरला ने प्रशिक्षु अधिकारियों से आग्रह किया कि सरकारी नीतियों के भावी संप्रेषकों के रूप में, संसदीय प्रक्रियाओं की उनकी समझ गहरी और मज़बूत होनी चाहिए।
श्री बिरला ने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे विधेयक के कानून बनने की प्रक्रिया, वाद-विवाद के चरणों, समिति की जाँच और विधायी प्रक्रिया की बारीकियों को समझें । उन्होंने संसदीय प्रश्नों, शून्य काल, विशेष उल्लेख के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार ये जन सरोकार और राजनीतिक जवाबदेही को दर्शाते हैं। उन्होंने संसदीय समितियों की भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि समितियां लघु संसद के समान हैं जो अदृश्य रूप से कार्य करते हुए कानून और नीति को मज़बूत बनाती हैं।
भारत की संसद में तीन दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आए प्रशिक्षु अधिकारियों ने लोक सभा की कार्यवाही भी देखी। इस अवसर पर भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) की कुलपति, डॉ. प्रज्ञा पालीवाल, आईआईएमएस के रजिस्ट्रार, डॉ. निमिष रुस्तगी, आईआईएस पाठ्यक्रम निदेशक श्रीमती रश्मि रोजा तुषार और लोक सभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

