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ऑपरेशन कालनेमि: उत्तराखंड में फर्जी बाबाओं के खिलाफ अभियान और 1500 से अधिक का सत्यापन

उत्तराखंड सरकार ने धार्मिक आस्था का दुरुपयोग करने वाले फर्जी बाबाओं और साधुओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू किया है। इस अभियान का नाम रामायण के पौराणिक चरित्र कालनेमि, एक राक्षस, से प्रेरित है, जिसने साधु का वेश धारण कर हनुमान को धोखा देने की कोशिश की थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य उन लोगों की पहचान करना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना है जो साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों की धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हैं। इस अभियान के तहत अब तक 1500 से अधिक संदिग्ध बाबाओं का सत्यापन किया जा चुका है, और सैकड़ों फर्जी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है।

ऑपरेशन कालनेमि का उद्देश्य‘ऑपरेशन कालनेमि’ का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, की धार्मिक और सांस्कृतिक पवित्रता को बनाए रखना है। यह अभियान विशेष रूप से चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान सक्रिय है, जब लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थलों पर आते हैं। इन अवसरों पर फर्जी बाबा और साधु भोले-भाले श्रद्धालुओं को निशाना बनाते हैं, तंत्र-मंत्र, वशीकरण, और झूठे आध्यात्मिक उपायों के नाम पर ठगी करते हैं। कुछ मामलों में इनका संबंध अवैध धर्मांतरण, अवैध अतिक्रमण, और अन्य आपराधिक गतिविधियों से भी पाया गया है।मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “जैसे कालनेमि ने साधु का वेश धारण कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की थी, वैसे ही आज समाज में कई ‘कालनेमि’ सक्रिय हैं जो धर्म की आड़ में अपराध करते हैं। हमारी सरकार लोगों की आस्था की रक्षा और सनातन संस्कृति की गरिमा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”

अभियान की प्रगति: 1500 से अधिक का सत्यापन‘ऑपरेशन कालनेमि’ के तहत उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर, और कुमाऊं मंडल के छह जिलों में व्यापक कार्रवाई की है। अब तक 1,249 से अधिक व्यक्तियों की जांच की गई है, जिनमें से 300 से अधिक फर्जी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिसमें गिरफ्तारी, चालान, और निवारक हिरासत शामिल हैं। हरिद्वार में पुलिस ने 167 व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की और 1500 से अधिक का सत्यापन किया।

सत्यापन प्रक्रिया में आधार कार्ड और अखाड़ा प्रमाणपत्रों की जांच शामिल है। कुछ मामलों में, संदिग्ध बाबाओं की प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए उन्हें हनुमान चालीसा जैसे धार्मिक भजनों का पाठ करने के लिए कहा गया। इस प्रक्रिया में विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोग, जिनमें विदेशी नागरिक और अन्य धर्मों के लोग शामिल हैं, साधु के वेश में पकड़े गए। उदाहरण के लिए, देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में एक बांग्लादेशी नागरिक, रूकन रकम उर्फ शाह आलम, को अवैध रूप से भारत में रहने और फर्जी साधु के रूप में ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

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