कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक बार फिर पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग जाकर अपने विचार सार्वजनिक किए हैं। उन्होंने हाल ही में संसद में पेश किए गए दागी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और मंत्रियों के खिलाफ सजा और बर्खास्तगी के प्रावधान वाले बिल को सही और आवश्यक बताया है।
थरूर ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में नेता और मंत्री जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और यदि वे बेईमानी, भ्रष्टाचार या अन्य गंभीर आरोपों से घिरे हैं, तो उन्हें पद छोड़ने से स्वीकार करना चाहिए। यह बिल भ्रष्टाचार और दुरुपयोग के खिलाफ एक मजबूत कदम होगा, जो राजनीति में पारदर्शिता बढ़ाएगा।
हालांकि, कांग्रेस के आला नेताओं ने इस मुद्दे पर अलग राय जताई है और पार्टी की नीति के खिलाफ इस बिल का समर्थन करने वाले शशि थरूर की बातों को पार्टी के भीतर असंतोष की शुरुआत माना जा रहा है।
विश्लेषक मानते हैं कि थरूर का यह रुख पार्टी के भीतर नए संघर्ष और दिशा-निर्देश की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके चलते कांग्रेस को आगामी सत्र में अपने तटस्थ रवैये पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
शशि थरूर की यह राजनीतिक पहल कांग्रेस के अस्तित्व और नेतृत्व की स्थिरता पर नए सवाल खड़े करने वाली है। आने वाले समय में पार्टी के इस बंटवारे का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।

