वाराणसी नगर निगम की हालिया कार्यकारिणी बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है, जिसकी चर्चा पूरे जनपद में हो रही है। काशी, जो मोक्ष की नगरी के रूप में जानी जाती है, यहाँ मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए देश-विदेश से लोग पहुँचते हैं। अब नगर निगम ने इन श्मशान घाटों के आसपास लकड़ी की दुकानों के लिए लाइसेंस जारी करने का बड़ा निर्णय लिया है। इसके साथ ही शहर को स्वच्छ और सुव्यवस्थित बनाने के लिए कई अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई।
वाराणसी नगर निगम की बैठक में मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट और सरायमोहाना के आसपास स्थित लकड़ी की दुकानों के लिए लाइसेंस जारी करने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन घाटों पर हर दिन सैकड़ों लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए पहुँचते हैं। नगर निगम का कहना है कि लाइसेंस प्रणाली से इन दुकानों का संचालन व्यवस्थित होगा और केवल अधिकृत दुकानदार ही अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बेच सकेंगे।”
इस बैठक में लकड़ी की दुकानों के लिए 10 दिन का कोटा निर्धारित करने पर भी चर्चा हुई। इसका मतलब है कि इन दुकानों को तय मात्रा में ही लकड़ी बेचने की अनुमति होगी। यह कदम न केवल व्यवस्था को सुचारू बनाएगा, बल्कि अवैध लकड़ी व्यापार पर भी अंकुश लगाएगा।”
यह निर्णय काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने के साथ-साथ व्यवस्था को और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लाइसेंस प्रणाली से घाटों के आसपास अव्यवस्था कम होगी और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी।”
इसके अलावा, बैठक में वाराणसी को स्वच्छ और सुंदर बनाने पर विशेष जोर दिया गया। महापौर अशोक कुमार तिवारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में घाटों और गलियों की सफाई, ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। मकसद है कि काशी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनी रहे, बल्कि स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं के मामले में भी एक मिसाल बने।”
नगर निगम ने यह भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव रखा है कि नव विस्तारित इलाकों में सड़क, स्ट्रीट लाइट, नाला निर्माण और पार्कों का सुंदरीकरण किया जाए। इसके साथ ही, 2025-26 के बजट में घाटों की सफाई के लिए 3 करोड़ रुपये और सार्वजनिक कुओं के रखरखाव के लिए 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

