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तेजस्वी यादव का अचानक दांव: विधायक दल की अहम बैठक, बिहार की सियासत में बड़े फैसले के संकेत

बिहार विधानसभा चुनावों की आहट के बीच राज्य की राजनीति में हलचल चरम पर है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को अपने सरकारी आवास (1 पोलो रोड, पटना) पर पार्टी के विधायक दल की एक महत्वपूर्ण, अचानक बैठक बुलाई है। इस बैठक का समय दोपहर 2:00 बजे निर्धारित किया गया था और पार्टी सूत्रों के अनुसार इसमें सभी राज्यसभा-सदस्य, सिटिंग विधायक और प्रमुख संगठन पदाधिकारी आमंत्रित किए गए हैं.

इस अभूतपूर्व राजनीतिक कदम के पीछे कई रणनीतिक सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव और RJD शीर्ष नेतृत्व इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूला, उम्मीदवार चयन, संगठन मजबूती, और चुनावी मुद्दों की प्राथमिकता जैसे बड़े फैसलें ले सकते हैं। पार्टी के अंदरूनी हलकों के मुताबिक, 15 सितंबर को तय महागठबंधन नेताओं की संयुक्त बैठक से पहले RJD नेतृत्व पार्टी में एकजुटता और अनुशासन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहता है.

बैठक के अंदर की चर्चाओं में सबसे आगे सीट वितरण और संभावित चेहरे बदलने जैसे विषय रहे। तमाम विधायकों से उनके क्षेत्र में जनता की प्रतिक्रिया का फीडबैक लिया गया और यह भी पूछा गया कि वे चुनावी तैयारियों में कितने मजबूत हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले पार्टी संगठन में कुछ बड़े बदलाव भी होने की संभावना है, ताकि पार्टी सही रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरे और विपक्षी पार्टियों को कड़ी चुनौती दे सके.

इस बैठक की टाइमिंग भी काफी मायने रखती है, क्योंकि इसी दिन दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में भाजपा कोर टीम भी बिहार के राजनीतिक हालात पर मंथन कर रही है। यह दोनों बड़े दलों के बीच चुनावी मुकाबले की गंभीरता को रेखांकित करता है। महागठबंधन में सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों के चयन को लेकर लगातार बातचीत चल रही है, लेकिन अंतिम मुहर तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बैठकों के बाद मानी जा रही है.

विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव द्वारा अचानक बैठक बुलाए जाने के पीछे पार्टी को एकजुट रखना, असंतुष्ट चेहरों को साधना और बगावत की कड़ियों को तोड़ना मुख्य लक्ष्य है। साथ ही, वे गठबंधन में अपनी भूमिका मजबूत बनाने और सीट शेयरिंग में अधिक हिस्सेदारी पाने की कोशिश में हैं। विपक्षी एकजुटता और चुनावी रणनीति को धार देने के लिहाज से यह बैठक निर्णायक मानी जा रही है।

महागठबंधन के सहयोगियों में सीटों के बंटवारे को लेकर खासा मोलभाव चल रहा है – कांग्रेस करीब 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि लेफ्ट और वीआईपी पार्टी भी 60 से ज्यादा सीटों पर दावा ठोक रही हैं. RJD की स्थिति इन चर्चाओं में सबसे अहम है, क्योंकि वह गठबंधन की धुरी बनी हुई है और इसके अध्यक्ष तेजस्वी यादव हैं.

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि तेजस्वी यादव का यह कदम न सिर्फ महागठबंधन की सीटों के समीकरण को प्रभावित करेगा, बल्कि पार्टी के अंदर अनुशासन और सांगठनिक मजबूती का बड़ा संदेश भी देगा। साथ ही, यह भाजपा और NDA खेमे के लिए भी बड़ा संकेत है कि RJD और महागठबंधन इस बार सख्त और रणनीतिक तैयारी के साथ मैदान में उतरने वाले हैं.

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