गणेश चतुर्थी का अनंत चतुर्दशी दिवस यानी गणेश विसर्जन का पर्व इस वर्ष 6 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति का विधिवत पूजन के बाद विसर्जन किया जाता है, जो दस दिन की पूजा का समापन होता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विसर्जन के दौरान कुछ नियमों का पालन न करने पर पूरे दस दिन की पूजा का फल नहीं मिलता।
विशेषज्ञों के मुताबिक विसर्जन के दिन सुबह से उपवास रखना शुभ माना जाता है। यदि उपवास नहीं रखा जा सके तो हल्का फलाहार किया जा सकता है। पूजा में नारियल, दूब, शमी पत्र और धूप जरूर अर्पित करें। विसर्जन के समय भगवान गणेश की प्रतिमा को मिट्टी की ही होना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक की मूर्तियों का विसर्जन पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है।
गणेश विसर्जन के समय प्रतिमा को नंगे पैर ही विसर्जित करना चाहिए और विसर्जन के बाद हाथ जोड़कर भगवान से कल्याण और मंगल की कामना करें।
एक खास नियम यह भी है कि विसर्जन के समय एक भोजपत्र पर ‘ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र लिखकर अपनी सारी परेशानियों को उस पर लिखें और उसे भी विसर्जित करें। इस प्रक्रिया से माना जाता है कि जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं और पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
इसके अलावा विसर्जन के दौरान दंगा-फसाद या विवाद करने से बचना चाहिए और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखना चाहिए। ये छोटे-छोटे नियम पालन करने से भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है।
इस वर्ष भी गणेश विसर्जन को लेकर धार्मिक आयोजनों को खास महत्व दिया जा रहा है ताकि भक्त जन बिना किसी बाधा के अपने कुलदैव की पूजा कर सकें।

