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“झालावाड़ हादसे के बाद किसान मोर सिंह की मिसाल: स्कूल के लिए घर दिया, खुद झोपड़ी बिला दी—मुसीबत में शिक्षा की जिंदा मिसाल”

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में बड़ी त्रासदी के बाद एक गरीब किसान की मानवता और बलिदान की कहानी सबके दिलों को छू गई।

25 जुलाई 2025 को पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल की छत अचानक गिर गई, जिसमें सात बच्चों की जान चली गई और 21 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए ।
यह हादसा जर्जर संरचना की मूलभूत लापरवाही की ओर इशारा करता है। राज सरकार ने आंकड़ों में बताया कि राज्य में करीब 5,500 स्कूल इमारतें खतरनाक हालत में हैं और उन्हें संपूर्ण पुनर्निर्माण की आवश्यकता है

इन परिस्थितियों में, पिपलोदी गांव के 60 वर्षीय किसान मोर सिंह ने शिक्षा को नहीं रुकने दिया। उन्होंने अपना पक्का पु़श्तैनी घर बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग को बिना शोर-शराबे दे दिया और अपने परिवार के साथ खेत के पास तिरपाल की अस्थायी झोपड़ी में रहने लगे

इस साहसी और निस्वार्थ कदम की बदौलत, दो दिन बाद यानी 27 जुलाई से बच्चों की पढ़ाई फिर से शुरू हो पाई
मोर सिंह का घर तब से ही गांव के लिए अस्थायी स्कूल बन गया है, जहां गांव के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है

15 अगस्त को जिला प्रशासन ने मोर सिंह को सम्मानित किया और एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया। उन्होंने यह राशि अपने पशुओं के लिए ऊँचे स्थान पर शेड बनाने में उपयोग की

मोर सिंह खुद अनपढ़ हैं, फिर भी उन्होंने शिक्षा की महत्ता समझी और अपने लिए सबसे कीमती—अपना घर—देकर गांव के बच्चों के उज्जवल भविष्य को अवसर दिया

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