पितृ पक्ष का समय हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति और तर्पण के लिए समर्पित होता है। यह अवधि हिंदू पंचांग के अनुसार 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक चलेगी। इस खास समय में कई धार्मिक नियम और आचरण होते हैं, जिनका पालन करना माना जाता है। लेकिन इस दौरान कार या प्रॉपर्टी की बुकिंग जैसी खरीदारी को लेकर कई तरह की शंकाएं और भ्रांतियां फैली हुई हैं।
शास्त्रों जैसे मनुस्मृति, गरुड़ पुराण और धर्मसिंधु में विस्तार से बताया गया है कि पितृ पक्ष को विलासिता और शुभ कार्यों से दूर रहना चाहिए। इस समय मांगलिक तथा शुभ कार्यों पर रोक लगती है, इसलिए नये वाहन या संपत्ति की खरीदारी अशुभ मानी जाती है। माना जाता है कि इस दौरान खरीदा गया कार या प्रॉपर्टी परिवार में पितृदोष को जन्म दे सकता है और घर-परिवार में अशांति का कारण बन सकता है। इसलिए पितृ पक्ष के दिन खरीदारी से बचना चाहिए।
इसके विपरीत, आधुनिक ज्योतिष और धर्मशास्त्र विशेषज्ञ कहते हैं कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के कार्यों को प्राथमिकता देना चाहिए और आर्थिक या व्यावसायिक निर्णय सावधानी से करने चाहिए। विशेषज्ञ बताते हैं कि जहां कार या प्रॉपर्टी जैसी बड़ी खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त महत्वपूर्ण होते हैं, वहीं पितृ पक्ष के बाद के शुभ दिनों का चुनाव कर इन्हें बुक करना बेहतर होता है।
कुछ विद्वानों का मानना है कि शास्त्रकारों ने पितृ पक्ष को आत्मिक शांति का काल माना है और इस दौरान खरीदारी के बजाय परिवार और पूर्वजों के प्रति समर्पण की भावना रखनी चाहिए। हालांकि श्राद्ध पक्ष में नए वस्त्र, गहने या संपत्ति खरीदने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और यह कुशल संकेत भी माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष शुरू होने से पहले आवश्यक चीजें जैसे घर, जमीन, वाहन आदि खरीद लिए जाने चाहिए ताकि इस अवधि में शुभ कार्यों से परहेज किया जा सके।
इस समय अत्यंत सावधानी और परंपरा का पालन जरूरी है क्योंकि माना जाता है कि पितृ पक्ष में किए गए गलत कार्य परिवार पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। इसके साथ-साथ परिवार में सुख-शांति बनाए रखने के लिए इन्हें ध्यान में रखना लाभकारी रहता है।

