हरियाणा की राजनीति में उस समय हलचल तेज हो गई जब राज्य के वरिष्ठ मंत्री और भाजपा के फायरब्रांड नेता अनिल विज ने बड़ा दावा किया। अंबाला छावनी में जारी एक कार्यक्रम के दौरान विज ने कहा कि “राज्य में कुछ लोग समानांतर बीजेपी चला रहे हैं, जिससे पार्टी को बहुत नुकसान हो रहा है।” उनके इस बयान को संगठन के अंदरूनी मतभेद और गुटबाजी का खुला इशारा माना जा रहा है।
यह पहला मौका नहीं है जब अनिल विज ने संगठन में खींचतान के संकेत दिए हों। इससे पहले भी कई बार उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से बयानबाजी कर पार्टी के भीतर असंतोष और ध्रुवीकरण की ओर इशारा किया है। विज का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो रही हैं और पार्टी एकजुटता दिखाने की कोशिश में है।
भाजपा हाईकमान ने हमेशा हरियाणा यूनिट को मजबूत करने और गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश की है।
अनिल विज का यह बयान बताता है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
विपक्ष इसे तुरंत भुनाने की कोशिश करेगा और चुनावी माहौल में इसे बड़ा मुद्दा बना सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि विज का यह बयान पार्टी की रणनीति और संगठनात्मक एकता पर सवाल उठाता है। अगर वाकई पार्टी के अंदर “समानांतर शक्ति केंद्र” सक्रिय हैं, तो यह बीजेपी के लिए चुनाव से पहले बड़ा खतरा बन सकता है।
हरियाणा की कांग्रेस और जेजेपी पहले से ही भाजपा सरकार की आलोचना कर रही हैं। अनिल विज के इस दावे के बाद विपक्षी दलों को नया मुद्दा मिल गया है। संभावना है कि आने वाले दिनों में विपक्ष “बीजेपी अंदरूनी संकट” को जनता के बीच जोरशोर से उठाएगा।
अब सबकी निगाह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर है। यह देखना अहम होगा कि पार्टी विज के बयान का संज्ञान लेकर गुटबाजी को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है। हाईकमान विज को समझाएगा या फिर किसी सख्त कार्रवाई के संकेत देगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।
अनिल विज हमेशा अपने तीखे बयानों और बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर संगठन और सरकार के मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं, जिससे कई बार पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। लेकिन उनकी लोकप्रियता और लंबे समय का राजनीतिक अनुभव उन्हें भाजपा में अलग पहचान भी दिलाता है।

